एक का हो रहा व्यावसायिक इस्तेमाल
पहला सब-वे मरीना बीच पर अण्णा समाधि चौराहे पर बना हुआ है, इस सब-वे का व्यावसायिक इस्तेमाल हो रहा है। यह सब-वे वर्षों से अतिक्रमण की जद में है। यहां से आवाजाही करने वाले यात्रियों को मानें तो इस सब-वे में से गुजरना आसान नहीं है, क्योंकि अतिक्रमियों ने इस सब-वे में बहुत कम जगह आवाजाही के लिए छोड़ी है। नतीजतन यह अपने उद्देश्य में विफल साबित हो रहा है।
सब-वे में लगा है गंदगी का अम्बार
दूसरा सब-वे मद्रास यूनिर्वसीटी के नजदीक दक्षिणी हिस्स में निर्मित है। यह सब-वे भी उपयोग के लायक नहीं है। इस सब-वे में गंदगी का अम्बार लगा हुआ है। राहगीर इस सब-वे का इस्तेमाल शौचालय की तरह कर रहे हैं। सब-वे में रोशनी का घोर अभाव है। लाइटिंग मुकम्मल नहीं होने के कारण लोग इस सब-वे में से गुजरने से कतराते हैं। असामाजिक तत्वों का भी खतरा बना रहता है। लोग इसे शराब पीने का अड्डा बना लिया है। सब-वे के अंदर दर्जनों शराब की बोतलें पड़ी हैं। इस चौमुखी सब-वे में लाइटिंग इतनी कम है कि लाइट होने के बावजूद अंधेरा ही नजर आता है। शाम होते ही शराबी और असामाजिक तत्व इस सब-वे को ठिकाना बना लेते हैं।
दूसरा सब-वे मद्रास यूनिर्वसीटी के नजदीक दक्षिणी हिस्स में निर्मित है। यह सब-वे भी उपयोग के लायक नहीं है। इस सब-वे में गंदगी का अम्बार लगा हुआ है। राहगीर इस सब-वे का इस्तेमाल शौचालय की तरह कर रहे हैं। सब-वे में रोशनी का घोर अभाव है। लाइटिंग मुकम्मल नहीं होने के कारण लोग इस सब-वे में से गुजरने से कतराते हैं। असामाजिक तत्वों का भी खतरा बना रहता है। लोग इसे शराब पीने का अड्डा बना लिया है। सब-वे के अंदर दर्जनों शराब की बोतलें पड़ी हैं। इस चौमुखी सब-वे में लाइटिंग इतनी कम है कि लाइट होने के बावजूद अंधेरा ही नजर आता है। शाम होते ही शराबी और असामाजिक तत्व इस सब-वे को ठिकाना बना लेते हैं।