रजनीकांत ने कहा कि यह मुद्दा इस लिए बड़ा नहीं हुआ कि यह अभिनेता ने उठाया है बल्कि इस लिए हुआ क्योंकि उन्होंने विद्यार्थियों की समस्याओं को उजागर किया है। सूर्या ने इसे अपनी आंखों से देखते हुए टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि लोगों का कहना है कि अगर मैं इस बात पर टिप्पणी करता तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंच जाती लेकिन सच तो यह है कि सूर्या की टिप्पणी मोदी तक पहले ही पहुंच चुकी है।
उल्लेखनीय है गत १३ जुलाई को अपने अग्राहम के स्थापना दिवस पर सूर्या ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा था कि तीन भाषाई फार्मूले से बच्चों पर दबाव बनाना अच्छी बात नहीं है। ऐसा करने के बजाय सरकार को सभी को समान शिक्षा प्रदान करने को लेकर कदम उठाना चाहिए। उन्होंने एकल शिक्षक विद्यालय बंद करने को लेकर केंद्र और राज्य सरकार की आलोचना की थी।
उन्होंने कहा कि स्कूल बंद हुए तो ग्रामीण स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थी कहां जाएंगे? अब वे नई शिक्षा नीति को लागू करने पर दबाव बना रहे हैं। लेकिन यह देश के ३० करोड़ विद्यार्थियों के भविष्य के संबंध में है। अगर लोग अभी भी चुप रहेंगे तो सरकार इसे लागू कर देगी। सूर्या की इस टिप्पणी की तमिलइसै सौंदरराजन और एच. राजा ने निंदा की थी। उसके बाद मक्कल नीदि मय्यम के संस्थापक अध्यक्ष कमल हासन ने सूर्या की टिप्पणी का समर्थन किया था। साथ ही सूर्या की निंदा करने को लेकर कमल हासन ने केंद्र सरकार की आलोचना की थी।