अस्पताल ने कहा कि इससे उसे अपूरणीय क्षति हो सकती थी इसलिए उसने जांच रोकने के लिए अदालत का रुख करने का निर्णय लिया। इससे पहले चार अप्रैल को मद्रास हाईकोर्ट ने जयललिता की मौत के मामले में जारी न्यायिक जांच पर अपोलो अस्पताल की आपत्तियों को खारिज कर दिया था।
अपोलो अस्पताल ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक जांच पर स्टे लगाने की गुजारिश के साथ अपील दाखिल की थी। याचिका में यह भी मांग की गई थी कि अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों को आयोग के समक्ष उपस्थित होने से छूट दी जाए।
याचिका में यह भी गुजारिश की गई थी कि अन्नाद्रमुक नेता की मौत की जांच के लिए पैनल के बजाए 23 डॉक्टरों का एक स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड गठित किया जाए। अस्पताल ने दावा किया है कि सरकार की ओर से गठित किया गया जांच आयोग पूर्वाग्रह से ग्रसित है। इस जांच कार्यवाही से अस्पताल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए, आयोग की ओर से जारी जांच प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।