लेकिन समस्या उस वक्त ज्यादा हो गई जब अरुण, जो लंबे समय से बीमार चल रहे थे, की जुलाई में मौत हो गई। उसकी मौत का दुख सहने में असमर्थ होने के बाद वे लोग अवसाद में चले गए। कुछ समय बीतने के बाद वालरमति अपनी बेटियों को खुश करने के लिए अपने भाई की बेटी को लेकर आई। लेकिन उसके बाद भी वे लोग अवसाद से बाहर नहीं निकल पाए और खुद को खत्म करने का तय किया। योजना के मुताबिक तीनों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह मामला प्रकाश में सोमवार को उस वक्त आया जब सरस्वती के पति उसके घर आए। सूचना पर पुलिस अधिकारियों की एक टीम वहां पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी राजाजी अस्पताल भेजा।
आत्महत्या से पहले उन लोगों ने सुसाइड नोट लिखा, जिसमें लिखा था कि उनके गहने और संपत्ति को उसकी मां को दे दिया जाए। साथ ही उसने कहा कि अरुण के परिवार वाले उनके अंतिम संस्कार में शामिल ना हों। पुलिस ने बताया कि ऐसा लगता है कि पीडि़तों को अरुण के परिवार से किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिला होगा। सुसाइड नोट में लिखा था कि सभी संपत्ति अरुण ने अपनी मेहनत की कमाई से लिया है इसलिए इसमें उनके परिवार वाले दावा नहीं कर सकते हैं।