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Tamil Nadu Assembly Elections 2021: तमिलनाडु में RTI कार्यकर्ताओं ने थामा राजनीतिक पार्टियों का दामन

locationचेन्नईPublished: Mar 16, 2021 08:40:52 pm

Submitted by:

PURUSHOTTAM REDDY

Tamil Nadu Assembly Elections 2021:

विदेशी चंदे पर सख्त कानून लागू होने से उनकी फंडिंग में कमी आई है।
सामग्री प्रदान कर रहा हूं, जो उनके चुनाव प्रचार के लिए उपयोगी होगा।

Activists take political plunge this election season in Tamilnadu Poll

Activists take political plunge this election season in Tamilnadu Poll

चेन्नई.

सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए 15 साल पहले लागू किए गए सूचना का अधिकार कानून (Right to Information Act-RTI) को महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन तमिलनाडु विधानसभा चुनाव (Tamil Nadu Assembly Elections 2021) से पहले ही सूचना के अधिकार (आरटीआई) के कई कार्यकर्ता चुनावी लड़ाई में मुख्यधारा की पार्टियों की टिकट (activists are choosing politics) पर चुनाव लड़ रहे हैं। ये कार्यकर्ता डीएमके (DMK), एआईएडीएमके (AIADMK), मक्कल निधि मय्यम (MNM) और वीसीके पार्टी (VCK Party) में शामिल हैं।

नेशनल अलायंस ऑफ पीपूल्स मूवमेंट (National Alliance for People’s Movement) के कार्यकर्ता अरूल दास (Arul dass) अपने दोस्तों को डीएमके और वीसीके में शामिल कर रहे है। वर्ष 2016 में आम आदमी पार्टी का समर्थन करने वाले अरूल दास डीएमके और वीसीके का समर्थन कर रहे है। उनका कहना है कि वे इमानदार है और उनकी नियति साफ है।

लोकसत्ता कार्यकर्ता सेंथिल आरमुगम और के. शिवा इलांगो ने मक्कल निधि मय्यम पार्टी में शामिल हो गए है। पिछले 15 वर्षों से एक आरटीआई कार्यकर्ता सेंथिल आरमुगम लोगों के जीवन से संबंधित कई मुद्दों को उठाते रहे हैं। आरमुगम पल्लावरम निर्वाचन क्षेत्र से मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) के बैनर तले चुनाव लड़ रहे हैं।

अरुमुगम ने कहा, “मैं पिछले पंद्रह वर्षों से आरटीआई कार्यकर्ता रहा हूं और कई मुद्दों को सामने लाया, जिन्हें दबा दिया गया था। अब मैं चुनाव लडकऱ इसे बड़े पैमाने पर लोगों तक ले जाना चाहता हूं और इसमें जीत मुझे सीधे विधायक के रूप में लोगों के मुद्दे में हस्तक्षेप करने में मेरी मदद करेगी।

कई कार्यकर्ताओं ने अब मुख्यधारा के राजनीतिक दलों की ओर रुख किया है, क्योंकि विदेशी चंदे पर रोक लगाने वाले सख्त कानून को लागू करने के बाद से उनकी फंडिंग में कमी आई है। चेन्नई में और उसके आसपास कई नागरिक समाज संगठन और एनजीओ अपने मामलों का प्रबंधन करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, कई अन्य अब मुख्यधारा के राजनीतिक दलों में अपना हाथ आजमा रहे हैं जो उनके मामलों की देखभाल करेंगे।

ताम्बरम से चुनाव लडऩे वाले शिवा इलांगो का कहना है कि मैंने करुणानिधि के खिलाफ चुनाव लड़ा था और यह मेरे लिए कोई नई बात नहीं है। हालांकि, धन की कमी है और मैं अब सक्रियता से मुख्यधारा की राजनीति में जा रहा हूं, जो लोगों की सेवा करने का सीधा रास्ता है। वे इससे पहले भी चुनाव लड़ चुके है। वर्ष 2011 में वे करुणानिधि के खिलाफ तिरुवारुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके है।

चेन्नई स्थित आरटीआई कार्यकर्ता, आर. आर. सेंथिलनाथन जो एनजीओ भी चलाते हैं, ने कहा, “केंद्र सरकार ने विदेशी फंडों पर सख्त प्रतिबंध लगाया है और यह हमारी गतिविधियों में एक बड़ी बाधा पैदा कर रहा है। मैं अब वीसीके का समर्थन कर रहा हूं और उन्हें एसी सामग्री प्रदान कर रहा हूं, जो उनके चुनाव प्रचार के लिए उपयोगी होगा।

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