चेन्नई

झांकियों को लेकर राजनीति

दिल्ली गणतंत्र दिवस की परेड में तमिलनाडु की झांकी को शामिल नहीं करने पर इसका प्रदर्शन चेन्नई में किया गया
टिप्पणी

चेन्नईJan 26, 2022 / 09:56 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

M.K.Stalin

चेन्नई. दिल्ली गणतंत्र दिवस की परेड में तमिलनाडु की झांकी को शामिल नहीं करने पर इसका प्रदर्शन चेन्नई में किया गया। हालांकि तमिलनाडु समेत केरल, पश्चिम बंगाल व कुछ अन्य राज्यों की झांकियों को भी दिल्ली परेड मे जगह नहीं मिल पाई थी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने प्रदेश की झांकी को शामिल न करने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई। स्टालिन हाइकोर्ट भी गए लेकिन याचिका खारिज हो गई। हालांकि केन्द्र की ओर से तर्क दिया गया कि इस बार कम समय एवं जगह की कमी के चलते सीमित झांकियां ही शामिल की गई। तय गाइडलाइन के हिसाब से ही झांकियों का चयन किया गया।
दिल्ली परेड के दौरान सांस्कृतिक झांकियां प्रस्तुत की जाती है। यही वह समय होता है जब कोई राज्य अपनी विशिष्ट संस्कृति व उपलब्धि दिखाते हैं। लेकिन हर साल यह प्रक्रिया क्षेत्रीय राजनीति के लिए मुद्दा बन जाती है। इस साल भी केन्द्र के कुछ राज्यों की झांकियों को नकार देने के बाद गुस्सा फूटा है। तमिलनाडु की झांकी को नकार दिए जाने पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने झांकी को गणतंत्र दिवस पर तमिलनाडु परेड में दिखाने एवं राज्य के अन्य जिलों में भी इसे ले जाने का प्रस्ताव दिया था। तमिलनाडु की झांकी को वर्ष 2017, 2019, 2020 एवं 2021 में दिल्ली परेड के लिए चुना गया था। तमिलनाडु की झांकी में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी वी.ओ.चिदंबर, महाकवि भारतीयार व रानी वेलु नाचियार को स्थान दिया था।
इस बार भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने की थीम पर आधारित प्रस्ताव मांगा गया था। ऐसे में इस साल का गणतंत्र दिवस अधिक महत्वपूर्ण हो गया। परेड मे स्थान हासिल करना राज्यों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया। इसके लिए 56 प्रस्ताव मिले जिनमें से 12 राज्यों एवं 9 मंत्रालयों से जुड़ी झांकियां शामिल की गई।
हर साल गणतंत्र दिवस पर अलग-अलग थीम की झांकियां शामिल की जाती है। एक्सपर्ट कमेटी झांकियों का चयन करती है। कमेटी में अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होते हैं। झांकी के मॉडल समेत अन्य पहलुओं पर राज्य, केन्द्रशासित प्रदेश व मंत्रालयों के साथ पहले बातचीत की जाती है। इसके बाद शॉर्टलिस्ट किया जाता है। सर्वश्रेष्ठ झांकियों का चयन समिति की प्राथमिकता में रहता है। ऐसे मे झांकियों को लेकर राजनीति नहीं की जानी चाहिए।
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