तमिलनाडु में टीकाकरण की गति शुरू से ही कम रही जिसका खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है। पहले प्रथम पंक्ति के कर्मचारियों ने इसमें दिलचस्पी नहीं ली। फिर चुनाव की आमसभाओं से कोरोना फैलने लगा तब कार्यक्रम पर दबाव बढ़ा जो अब टीकों की किल्लत के रूप में नजर आ रहा है।
65.88 लाख लोगों को टीके
राज्य में टीकाकरण कार्यक्रम 16 जनवरी को शुरू हुआ। 11 मई तक के आंकड़ों के अनुसार 65 लाख 88 हजार 345 लोगों को कोविड टीके लगे हैं। 1 मई से देखा जाए तो एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब 1 लाख टीके लगे हों। मतगणना वाले दिन 2 मई को तो केवल 6436 टीके लगे। तमिलनाडु में टीकों की छीजत भी करीब नौ फीसदी है।
सरकार का निर्णय
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कोरोना नियंत्रण के उपायों की समीक्षा करने के बाद निर्णय किया कि केंद्र सरकार ने 18 से अधिक उम्र के लोगों को टीका लगाने का अभियान शुरू करने को कहा है। लेकिन राज्य को इस कार्यक्रम के तहत टीकों की पर्याप्त संख्या का आवंटन नहीं हुआ है। लिहाजा हम वैश्विक टेंडर जारी कर कोरोना टीके खरीदेंगे और राज्य की जनता को मुहैया कराएंगे। इसी तरह ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने केे लिए नए प्लांट लगाने के साथ ही पड़ोसी राज्यों के कारखानों से ऑक्सीजन रेल की व्यवस्था की जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्री को पत्र
पीएमके राज्यसभा सांसद व पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डा. अन्बुमणि रामदास ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन को लिखा है कि चेंगलपेट के एकीकृत वैक्सीन परिसर में कोरोना टीके का उत्पादन शुरू किया जाए। यह 100 फीसदी अनुदान प्राप्त सरकारी कारखाना है। डबल्यूएचओ द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों को पूरा करने वाले इस कारखाने की पूरी तरह अनदेखी हो रही है और वित्तीय आवंटन नहीं होने की वजह से निष्क्रिय पड़ा है। यहां सात तरह के टीकों का उत्पादन हो सकता है और बड़ी बात यह है कि कोरोना के टीके भी इस कारखाने में तैयार हो सकते हैं। तमिलनाडु सरकार के साथ मिलकर इस परिसर के शेष कार्यों को पूरा कर यहां शीघ्र उत्पादन शुरू करने के कदम उठाए जाने चाहिए।