भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रारंभिक चरण में विधेयक का विरोध किया, जबकि मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने कांग्रेस विधायक दल के नेता के. सेल्वापेरुन्थगई की दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता को लेकर की गई टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए विधेयक के पारित होने से पहले सदन से बहिर्गमन किया।
इससे पहले मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सदन के सदस्यों से सरकार की पहल का समर्थन करने की अपील करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह-राज्य गुजरात में भी कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा नहीं बल्कि राज्य द्वारा की जाती है। तेलंगाना और कर्नाटक सहित कई अन्य राज्यों में भी ऐसा ही है। विपक्षी दल पट्टाली मक्कल कच्ची (पीएमके) ने विधेयक का समर्थन किया।
इस प्रथा से चुनी हुई सरकार का अनादर
स्टालिन ने कहा कि यह प्रथा चुनी हुई सरकार का अनादर करती है और लोगों के शासन के सिद्धांत के खिलाफ है। मौजूदा व्यवस्था विश्वविद्यालयों के प्रशासन में भ्रम पैदा करती है। उन्होंने केंद्र-राज्य संबंधों पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश मदन मोहन पुंछी की अध्यक्षता में आयोग की रिपोर्ट की ओर भी इशारा किया। 2010 की इस रिपोर्ट में विश्वविद्यालयों के कुलपति के पद से राज्यपाल को हटाने की सिफारिश की गई थी।