तमिलनाडु की मुख्य सचिव गिरिजा वैद्यनाथन ने शुक्रवार को इस सिलसिले में केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखा। उन्होंने लिखा कि राज्य सरकार निराश है कि मंत्रालय ने तुत्तुकुड़ी में एक अध्ययन कराया और केंद्रीय भूजल बोर्ड से रिपोर्ट तक प्राप्त कर ली। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में राज्य सरकार अथवा तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को किसी तरह की सूचना नहीं दी गई।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य मानता है कि यह रिपोर्ट पूरी तरह प्रेरित है और सरकार के पूर्वाग्रह से ग्रस्त होने की संकल्पना पेश करती है। इस रिपोर्ट के जरिए स्टरलाइट को फायदा पहुंचाने की कोशिश हुई है जो पूरी तरह अस्पष्ट है और आंकड़ों पर आधारित नहीं है। इस अध्ययन का वैज्ञानिक आधार नहीं है और यह समझ नहीं आ रहा है कि जिन दो वैज्ञानिकों ने इस रिपोर्ट को तैयार किया है उन्होंने किस बुनियाद पर अध्ययन किया जो पूरी तरह अस्पष्ट और संक्षिप्त है।
मुख्य सचिव ने लिखा कि टीएनपीसीबी ने वैज्ञानिक अध्ययन करा पाया कि स्टरलाइट कॉपर प्लांट की वजह से हुए प्रदूषण से स्थानीय लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ा है और लिहाजा इसे बंद करने के निर्देश जारी किए गए। संविधान के अनुच्छेद ४८-ए के तहत पर्यावरण संरक्षण राज्य का बुनियादी कर्तव्य है। लिहाजा सरकार ने प्लांट को स्थाई रूप से बंद करने के आदेश दिए। गिरिजा वैद्यनाथन ने केंद्रीय जल संसाधन सचिव से कहा कि टीएनपीसीबी ने स्टरलाइट कॉपर प्लांट शोधन संयंत्र को बंद करने से पहले व्यापक अध्ययन कराया था। फिलहाल यह मामला राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण, मद्रास उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है।