इस पृष्ठभूमि में कांग्रेस नेता ने कहा महाबलीपुरम में China के राष्ट्रपति जिनपिंग को बुलाकर पीएम मोदी का अनौपचारिक शिखर वार्ता का आयोजन करना स्वागत योग्य और सराहनीय प्रयास था। उन्होंने प्रतिक्रिया दी कि इस वार्ता को लेकर पूरे महाबलीपुरम की साफ-सफाई हुई थी। पीएम जहां ठहरे थे वहां के तट की तो सफाई के लिए आधुनिक यंत्रों का उपयोग हुआ था।
इसके बाद भी प्रात:कालीन भ्रमण के दौरान मोदी ने कचरा उठाया और उसके वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर स्वच्छता के प्रति उनकी गंभीरता को दिखाया। लेकिन प्रश्न यह है कि इतनी सफाई के बाद भी वहां कचरा आया कैसे? क्या कचरा उठाने का स्वांग भरने के लिए ऐसा किया गया था? अगर वहां कचरा फिर भी आया तो क्या राज्य सरकार ने लापरवाही बरती?
प्रधानमंत्री मोदी का महाबलीपुरम में तमिल संस्कृति की परिचायक धोती पहनना गौरव का विषय था। डीएमके-कांग्रेस गठबंधन की सरकार जब केंद्र में थी तब शास्त्रीय तमिल अनुसंधान केंद्र में ४७ कर्मचारी थे जिनकी संख्या अब ७ रह गई है। साथ ही १२ करोड़ का दिया गया अनुदान अब लाखों तक सीमित हो गया है।
केंद्र की भाजपा सरकार से हमारा प्रश्न है कि अनुदान की राशि क्यों घटा दी गई? जिस निदेशक की कुर्सी पर तमिल प्रोफेसर को बिठाया जाना चाहिए वहां आइआइटी के प्रोफेसर को क्यों नियुक्त किया गया है?
न्यूनतम लोगों द्वारा बोली जाने वाली संस्कृत भाषा के १३ विश्वविद्यालय हैं और इस भाषा के विकास का बजट सालाना १०० करोड़ रुपए है। दूसरी ओर शास्त्रीय तमिल का बजट काट दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि तमिलनाडु और तमिलों का बहिष्कार कर तमिलों के पहनावे के आवरण के नीचे इसे छिपाने की प्रधानमंत्री की कोशिश नाकाम होगी। मोदी की इस तमिल वेशभूषा से राज्य की जनता नहीं बहकने वाली है।