हालांकि, विधानसभा और लोकसभा चुनावों के विपरीत, जहां इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के उपयोग के कारण मतगणना के घंटों बाद परिणाम ज्ञात होंगे, स्थानीय निकाय चुनावों के परिणामों में पेपर मतपत्रों के उपयोग के कारण अधिक समय लगने की संभावना है।
ज्ञातव्य है कि छह अक्टूबर को हुए पहले चरण के चुनाव में 74.37 फीसदी और 9 अक्टूबर को हुए दूसरे चरण के चुनाव में 78.47 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। इन नौ जिलों में 23,998 पदों के लिए कुल 79,433 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे हुए हैं।
कुल 27,003 पदों में से 2,981 उम्मीदवारों को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया और कुल 79,433 उम्मीदवारों ने दो चरणों में चुनाव लड़ा। पहले चरण में 78 जिला पंचायत वार्ड सदस्य पदों, 755 पंचायत संघ वार्ड सदस्य पदों, 1,577 ग्राम पंचायत अध्यक्ष पदों और 12,252 ग्राम पंचायत वार्ड सदस्य पदों के लिए मतदान हुआ। दूसरे चरण में 62 जिला पंचायत वार्ड सदस्यों, 626 पंचायत यूनियन वार्ड सदस्यों, 10,329 ग्राम पंचायत वार्ड सदस्यों और 1,324 ग्राम पंचायत अध्यक्षों के चुनाव के लिए मतदान हुआ।
अन्य 28 जिलों के ग्रामीण स्थानीय निकायों के 424 पदों पर नौ अक्टूबर को हुए उपचुनाव में 70.51 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। इस बीच एआईएडीएमके के मीडिया समन्वयक आरएम बाबू मुरुगवेल ने राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) में याचिका दायर कर ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनावों के परिणाम घोषित करने के दौरान एक-एक पद पर गिनती पूरी होने के साथ घोषणा की जाए, ना कि सभी पदों के लिए एक बार घोषणा हो। एसईसी को एक ज्ञापन में उन्होंने कहा कि पार्टी को पता चला है कि एसईसी ने सभी सीटों के लिए वोटों की गिनती के अंत में केवल एक बार में परिणाम घोषित करने का प्रस्ताव रखा था।
उन्होंने कहा कि पूर्व में मतगणना समाप्त होने पर प्रत्येक पद पर मतगणना के परिणाम घोषित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सभी सीटों की मतगणना के बाद एक बार में परिणाम घोषित करने से ‘कुछ कदाचार और खरीद-फरोख्त’ का मार्ग प्रशस्त होगा और इससे ‘कुछ अप्रिय घटनाएं’ भी हो सकती हैं।