युवराज ने अण्णा विश्वविद्यालय से बीई (एयरोनॉटिकल) और आइआइटी खडग़पुर से एमटेक (एयरोस्पेस) की पढ़ाई की है।
दक्षिण रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी बी. गूगणेशन ने बताया कि युवराज ने सुपर तत्काल और सुपर तत्काल प्रो नामक दो फर्जी एंड्रॉयड ऐप विकसित किया था। इन दोनों ऐप की स्पीड अधिक होने की वजह से लोगों को रेल टिकट की पूरी बुकिंग होती थी। आरोपी ने इन दोनों ऐप की मदद से सैकड़ो लोगों को तत्काल टिकट बनाकर खूब पैसे बनाए।
ऐसे होता था फर्जीवाड़ा
ऐप डाउनलोड करने वाले ग्राहकों को दस सिक्के खरीदने पड़ते थे, प्रत्येक सिक्के की कीमत 20 रुपए थी। शर्त यह है कि बुकिंग शुरू करने से पहले ही सिक्का खरीदना जरूरी है। कई स्तरीय प्रबंधन ढांचे के तहत ये ऐप काम करता था और दोनों एंड्रॉयड ऐप के पेमेंट गेटवे इंस्टामॉजो से जुड़ा था जिसका भुगतान युवराज के बैंक खाते में होता था। ग्राहक जब बुकिंग करते थे तो उनके 5 सिक्के कम हो जाते, जिसका भुगतान युवराज के खाते में चला जाता था।
20 लाख रुपए की धोखाधड़ी
पूछताछ के बाद आरपीएफ के अधिकारियों ने बताया कि युवराज ने कबूला है कि उसे फर्जी एंड्रॉयड ऐप की मदद से कंफर्म तत्काल टिकट की बुकिंग करवाई और वर्ष 2016 से 2020 के बीच 20 लाख रुपए की धोखाधड़ी की। युवराज द्वारा विकसित फर्जी ऐप करीब एक लाख ग्राहक उपयोग करते है जिसकी मदद से कंफर्म तत्काल टिकट की बुकिंग करते थे।
आरपीएफ ने जुटाए डिजिटल साक्ष्य
दक्षिण रेलवे के आरपीएफ साइबर सेल के अधिकारियों ने आरोपी तक पहुंचने में अहम भूमिका निभाई। अधिकारियों ने डेटा विश्लेषण और फर्जी ऐप डेवलपर के लोकेशन की पहचान कर डिजिटल साक्ष्य जुटाए। एकत्र किए गए सर्वर सॉर्स कोड, एप्लिकेशन सॉर्स कोड और ग्राहकों की सूची और अपराधी के बैंक विवरण की जानकारी जुटाने के बाद उसकी गिरफ्तारी की गई।