तिरुमावलवन को ५ लाख २ हजार २९ वोट मिले, जबकि एआईएडीएमके के चंद्रशेखर पी. को यहां से ४ लाख ९७ हजार ०१० वोट मिले हैं। इससे पहले वर्ष २००९ के लोकसभा चुनाव में वीसीके को इस सीट से सफलता मिली थी, लेकिन २०१४ के लोकसभा चुनाव में एआईएडीएमके के एम. चंद्रकाशी ने उन्हें पछाड़ दिया था।
चंद्रकाशी को यहां से ४२९५३६ वोट जबकि दूसरे नंबर पर वीसीके को ३०१०४१ वोट मिले थे। यह सीट एअनुसूचित जाति के लिए आरक्षित मानी जाती है। यहां ६,८६,८६२ पुरुष और ६,७९,३०७ महिलाएं मतदाता हैं। यहां अनुसूचित जाति की आबादी २८.०२ प्रतिशत के लगभग है और अनुसूचित जनजाति १.०२ प्रतिशत के करीब है। यह सीट कई मायनों में अहम है, यह शहर तिल्लै नटराज मंदिर के लिए मशहूर है। यहां राज्य का पुराना और प्रमुख अन्नामलै विश्वविद्यालय भी है।
जहां तक बात राजनीति की है तो तमिलनाडु की ज्यादातर सीटों के उलट यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। वर्ष १९५७ और १९६२ में यहां कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की थी, लेकिन १९६७ में डीएमके ने यहां पहली बार जीत हासिल की। यह सिलसिला १९७१ में भी जारी रहा।
१९७७ में एआईएडीएमके ने यहां जीती, लेकिन १९८० में डीएमके ने फिर यह सीट छीन ली। १९८४, ८९ और ९१ में एक बार फिर कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा हो गया था। १९९६ के आम चुनाव में डीएमके ने फिर यहां से जीत हासिल की जबकि १९९९ और २००४ में पीएमके का कब्जा रहा।