व्यक्ति को सद्गुणों के रंग से अपने जीवन को रंगीन बनाने का प्रयास और दुर्गुणों से परहेज करना चाहिए। अहंकार सबसे बड़ा दुर्गुण है, इसने आज महामारी का रूप धारण कर लिया है । अहंकार ने व्यक्ति के दिल को पाषाण की तरह कठोर बना दिया।
जीवन में कम से कम दो स्थानों पर अहंकार को महत्व कम देना चाहिए-एक उनके साथ जो आपकी जिंदगी की दुनिया में हैं और दूसरा धर्म के मंच का इस्तेमाल अहं पुष्टि के लिए नहीं करें बल्कि अहम को गलाने के लिए करें। तभी जीवन सफल और सार्थक हो सकेगा। संसार के जितने भी रंग हैं वे सब फीके और क्षणिक हैं । एक धर्म, प्रेम और मैत्री का रंग ही ऐसा है जो जिंदगी को सही मायने में रंगीन और खुशहाल बनाता है।
होली पर्व बुराइयों पर अच्छाइयों की जीत का प्रतीक है । आज के दिन दुर्गुण और बुराइयों का दहन करके आत्मा को पवित्र बनाने का संकल्प करना चाहिए । इस मौके पर जैन संघ , विरुगम्बाक्कम द्वारा अध्यक्ष प्रकाशचंद गोलेछा व मंत्री महावीरचंद पगारिया ने मुनि के समक्ष अगले चातुर्मास की विनती प्रस्तुत की जिस पर मुनि ने स्वीकृति प्रदान की।
संघ के चंदनबाला महिला मंडल ने गीतिका प्रस्तुत की। इस मौके पर शंकरलाल पटवा, शांतिलाल बोहरा, अमरचंद छाजेड़, मीठालाल पगारिया, महेन्द्र कुमार बैद, प्रकाशचंद ललवाणी, राजकुमार कोठारी, राजेन्द्र कुमार बोहरा, स्वरूपचंद झामड, विनयचंद पावेचा, प्रकाशचंद पोखरणा, विजयराज सुराणा, नीलमचंद छाजेड, प्रकाशचंद कोठारी, कुलदीप खिंवसरा उपस्थित थे। अध्यक्ष नथमल पोकरणा ने आभार जताया । संचालन संघ के मंत्री चेतन पटवा ने किया।