मां के दरबार में भजनों की गूंज और नृत्य की खनक
चेन्नई. नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही देवी मां की पूजा व आराधना शुरू हो चुकी है। मां को खुश करने के लिए महानगर में कई जगह गरबा हो रहा हैं। गरबा खेलने की एक वजह यह है कि मार्कंडेय पुराण के अनुसार मां दुर्गा ने राक्षसों को मारकर ध्यान मग्न होकर आनन्द की मुद्रा में हाथ में अग्नि लेकर कुछ कदम चली थी। इस समय अन्य देवता मां की स्तुति कर रहे थे इसलिए भक्तजन नवरात्रि में गरबा में मां दुर्गा के भजन एवं गीतों पर नृत्य करते हैं। महानगर में भी ऐसे नृत्य एवं गीत कानों में गूंजने लगे हैं। साहुकारपेट के अलावा बाहरी इलाकों में भी नवरात्रि के दौरान गरबा एवं डांडिया की गूंज है। नवरात्रि के शुरू होते ही मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए गरबा एवं डांडिया रास का रंग चारों ओर बिखरने लगता है। हालांकि पहले गरबा एवं डांडिया केवल गुजरात में ही हुआ करता था। यह नृत्य गुजरातियों की ही शान माना जाता है। आजादी के बाद जब गुजरातियों ने प्रांत के बाहर निकलना शुरू किया तो अन्य प्रदेशों में भी यह परम्परा पहुंच गई। आज इसका देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी आयोजन होता है। तमिलनाडु में भी नवरात्र के दौरान गरबा, डांडिया की गूंज विभिन्न स्थानों पर सुनाई देती है। सुदूर दक्षिण में गरबा व डांडिया लगातार विस्तार पा रहा है।
श्री कुमावत समाज ट्रस्ट साहुकारपेट के तत्वावधान में कोण्डितोप में नवरात्रि पर दुर्गा प्रतिमा स्थापना की गई। राजस्थान से आई सुरेश सोमरवाल एंड पार्टी ने मां के भजनों की स्वर लहरियां बिखेरी।
इनमें वारी जाऊं ओ गुरां बलिहारी जाऊं ओ.., शक्ति आप अवतार लियो मां…, चम-चम चमके चूंदड़ी महारानी ए…, चौसठ जोगणी ए मां देवलिया रमजाय…, म्हारी जगदंबा महाराणी, दुर्गा माता शारदा राणी… समेत अन्य भजनों पर श्रोताओं ने मुग्ध होकर नृत्य किया। बच्चे ने नृत्य कर अच्छी तालियां बटोरी।
कार्यक्रम में कुमावत समाज ट्रस्ट के रामलाल, ऊंकारराम, बाबूलाल, मदनलाल, महेन्द्र, लक्ष्मण, रमेशकुमार, गोकलराम, माणकचन्द, शैतानराम, तेजाराम, पवनकुमार, शिवराम आदि का सहयोग रहा।