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चेन्नई

सीएमबी के जल्द गठन को लेकर राज्यपाल से मिले किसान नेता

कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड के गठन में केंद्र सरकार की तरफ से मांगी गई तीन माह की मोहलत को वापस लेने और तत्काल सीएमबी के गठन करने को लेकर आज…

चेन्नईApr 17, 2018 / 10:43 pm

मुकेश शर्मा

The farmer leader from the governor, about the early formation of CMB

The farmer leader from the governor, about the early formation of CMB

चेन्नई।कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड के गठन में केंद्र सरकार की तरफ से मांगी गई तीन माह की मोहलत को वापस लेने और तत्काल सीएमबी के गठन करने को लेकर आज एक आवेदन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के समक्ष लगाई गई। यह आवेदन कावेरी उरिमै मीडपु पोरट्टा ओरिंगीनैपु कुझु द्वारा दिया गया। यह याचिका लेकर जाने वालों में राज्यपाल के पास किसान नेता पीआर पांडियन, किसान विंग के सचिव अशोक लोढ़ा, चेन्नई जोन के अध्यक्ष वेलचेरी कुमार, चेन्नई सिटी के अध्यक्ष गोपीनाथ, फिल्म निर्देशक भारती राजा, अमीर, गौतमन, वेट्री मारन, समाजसेवी शिवै इलंगो समेत कई अन्य लोग शामिल थे।


राज्यपाल से मुलाकात करने के बाद एगमोर में अलबर्ट थियेटर के पास संघ ने कॉलेज विद्यार्थियों के साथ सीएमबी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इस संबंध में अशोक लोढ़ा ने बताया कि वह तमिलनाडु के किसानों के हक के लिए लड़ रहे हैं।

यह मसला काफी पुराना है जिसका अंत सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद तय था लेकिन बोर्ड के गठन में केंद्र सरकार की तरफ से हो रही देरी ने तमिल लोगों की भावना व अपेक्षा के साथ खिलवाड़ किया है जिसका हम कड़ा विरोध करते हैं।

उन्होंने बताया कि वह चेन्नई में होने वाले आईपीएल मैच का भी विरोध कर रहे हैं और वह नहीं चाहते की किसानों के साथ छलावा कर यहां के लोगों का ध्यान इस मुद्दे से भटकाया जाय। उन्होंने कहा कि वह ११ अप्रैल को पीएमके द्वारा बुलाए गए बंद का समर्थन करेंगे।

आविन दूध मामले में तीन आरोपी रिहा

वर्ष २०१४ के आविन दूध में मिलावट के मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने तीन आरोपियों को बरी कर दिया है। न्यायाधीश सीटी सेल्वम ने मामले पर सुनवाई करते हुए वैद्यनाथन, उसकी पत्नी रेवती और एक अन्य आरोपी अब्दुल रहीम को रिहा कर दिया। इस मामले में आरोपी रहे दो जनों के इकबालिया बयान के आधार पर चेन्नई व कांचीपुरम के दुग्ध डिपो पर दूध में मिलावट के मामले में पुलिस ने वर्ष २०१४ में तीन लोगों के अलावा २५ अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। बाद में केस को सीबी-सीआईडी को सौप दिया गया।

मामले में २८ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। इसके बाद तीनों आरोपियों ने विल्लुपुरम के चीफ ्ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट के समक्ष इसके खिलाफ याचिका लगाई। इसकी सुनवाई करते हुए सीजेएम ने १२ जुलाई २०१७ को इस याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याची के वकील ने कोर्ट को बताया कि जिन दो आरोपियों ने तीनों याचियों का नाम लिया था उन्हें दिंडीवणम मजिस्ट्रेट ने २१ दिसम्बर २०१६ को बरी कर दिया।

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