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Tamilnadu: राजस्थान का नाता रहा है महाबलीपुरम से

locationचेन्नईPublished: Oct 10, 2019 10:25:08 pm

सौ बिस्तर की क्षमता का अस्पताल (Hospital) व बारहवीं तक स्कूल (School) बनाकर दी, राजस्थान सरकार (Rajasthan Govt) ने सुनामी (Sunami) के बाद बनाई

The Government of Rajasthan constructed a hundred-bed hospital

The Government of Rajasthan constructed a hundred-bed hospital

महाबलीपुरम (तमिलनाडु). बंगाल की खाड़ी के किनारे बसे तथा चेन्नई से 60 किमी दूरी पर आबाद महाबलीपुरम से राजस्थान का गहरा नाता रहा है। सुनामी की लहर में चोलामंडलम यानी चोल शासकों का बसाया समृद्ध सांस्कृतिक शहर महाबलीपुरम भी अछूता नहीं रहा और यहां भी खूब नुकसान हुआ। सुनामी के बाद राजस्थान सरकार ने महाबलीपुरम में सौ बिस्तर का अस्पताल एवं बारहवीं तक स्कूल का निर्माण करवाया।
पल्लव काल में समुद्री बंदरगाह के प्रमुख केन्द्र रहे महाबलीपुरम को पल्लवों की दूसरी राजधानी की तरह महत्व दिया जाता था। यहां के सबसे अच्छे स्मारकों के समूह को यूनेस्कों ने विश्व विरासत में शामिल किया है। महाबलीपुरम में समुद्र तट पर शोर मंदिर है जिसका सुनामी की तूफानी लहरें भी कुछ नहीं बिगाड़ पाई। राजा नरसिंह वर्मन ने इसका निर्माण करवाया था। वास्तुशिल्प कला के इस अद्भुत नमूने में खूबसूरत बहुभुज गुंबद के साथ मंदिर में भगवान विष्णु एवं शिव की मूर्तियां प्रतिष्ठापित हैं।
वसुंधरा राजे का रहा प्रमुख योगदान
तमिलनाडु में 2004 में सुनामी के दौरान तमिलनाडु के कई इलाकों में जान-माल का नुकसान हुआ था। सुनामी के कुछ दिनों बाद राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया तमिलनाडु आई थी। उस समय वर्तमान में पाली जिला प्रमुख पेमाराम सीरवी राजस्थानी समाज के प्रतिनिधिमंडल के साथ सिंधिया से मिले थे। उन्होंने सुनामी प्रभावितों की राहत के लिए स्थायी कार्य के तहत अस्पताल एवं स्कूल बनाने की मांग की।
पांच करोड़ रुपए स्वीकृत

राजस्थान सरकार ने तब इसके लिए पांच करोड़ रुपए स्वीकृत किए जिससे स्कूल एवं अस्पताल बनाकर तमिलनाडु सरकार को सुपुर्द किया था। मौजूदा समय में महाबलीपुरम के पास ही सौ बिस्तर क्षमता का अस्पताल एवं बारहवीं तक के स्कूल का संचालन किया जा रहा है जिसका लाभ स्थानीय लोगों के साथ ही आसपास के ग्रामीणों को मिल रहा है।
तीन दशक से कर रहे व्यापार
राजस्थान के पाली जिला प्रमुख पेमाराम सीरवी ने बताया कि महाबलीपुरम में करीब तीन दशक से प्रवासियों द्वारा व्यापार किया जा रहा है। वर्तमान में महाबलीपुरम में करीब तीस राजस्थानी परिवार निवास कर रहे हैं जिनमें अधिकांश सीरवी समाज से हैं। पेमाराम का करीब ढाई दशक से महाबलीपुरम में व्यवसाय है। यहां सीरवी समाज के दो वढेर (मंदिर) भी बने हुए हैं। अधिकांश व्यापारी यहां पॉन ब्रोकर एवं ज्वैलरी के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं।
स्थानीय लोगों के साथ आत्मीय संबंध
पेमाराम सीरवी कहते हैं, प्रवासी व्यापारी स्थानीय लोगों के साथ काफी घुलमिल चुके हैं। उन्हें अब इस बात का अहसास ही नहीं होता कि वे किसी दूसरे प्रदेश में हैं। फर्राटे से तमिल बोल लेते हैं। तमिल समाचार पत्र भी पढ़ लेते हैं। स्थानीय स्तर पर भी समाजसेवा के कार्य में प्रवासी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं। समय-समय पर मानवीय सेवा के कार्य प्रवासियों की ओर से किए जा रहे हैं।

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