चेन्नई

Tamilnadu: नई पीढ़ी को संस्कारों से जोडे रखने की कोशिश

श्री अग्रवाल यूथ एसोसिएशन भी पिछले पांच वर्ष से गरबा(Garba) एवं डांडिया (Dandiya) का आयोजन कर रहा है। संस्था के सदस्यों का कहना हैं कि नई जनरेशन की गरबा एवं डांडिया में विशेष रूचि रहती है।

चेन्नईOct 10, 2019 / 12:13 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

The new generation has a special interest in Garba and Dandiya

चेन्नई. महानगर में कई संस्थाएं ऐसी हैं जो गरबा एवं डांडिया के आयोजन के माध्यम से इस संस्कृति को जिंदा रखे हुए है। श्री अग्रवाल यूथ एसोसिएशन भी पिछले पांच वर्ष से गरबा एवं डांडिया का आयोजन कर रहा है। संस्था के सदस्यों का कहना हैं कि नई जनरेशन की गरबा एवं डांडिया में विशेष रूचि रहती है। बच्चे भी उत्साह दिखाते हैं तो बड़े भी चाव से गरबा खेलते हैं। बच्चों एवं बड़ों के लिए कई तरह की इनामी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है। दरअसल गरबा गुजरात एवं राजस्थान का एक प्रसिद्ध लोकनृत्य हैं जिसका मूल उद्गम गुजरात है। गरबा सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। गुजरात के गरबा का खास अंदाज है जो यहां दक्षिण में भी साफ दिखता है। माता को मनाने एवं अपनी आस्था प्रकट करने का सबसे सशक्त माध्यम गरबा है। जिसकी कहने को शुरुआत गुजरात से हुई लेकिन अब पूरे देश की धड़कन बन चुका है। गुजराती गीतों पर आधारित गरबा किसी जाति-धर्म को नहीं देखता। माता की भक्ति एवं आस्था की उमंग अब इसकी पहचान बन गई है। उत्साह, उमंग एवं भक्ति के रंग में रंगे प्रतिभागियों का संगम यहां देखने को मिलता है। बच्चे बड़े सभी एक ही जगह पारम्परिक वेशभूषा में डांडिया पर थिरकते यहां नजर आते हैं।
मां अम्बे की भक्ति
संगीतमय इस आयोजन के माध्यम से मां अम्बे की भक्ति देखते ही बनती है। गरबा खेलने की एक वजह यह है कि मार्कंडेय पुराण के अनुसार मां दुर्गा ने राक्षसों को मारकर ध्यान मग्न होकर आनन्द मुद्रा में हाथ में अग्नि लेकर कुछ कदम चले थे। इस समय अन्य देवता मां की स्तुति कर रहे थे। इसलिए भक्त लोग गरबा रात में मां दुर्गा के भजन एवं गीतों पर नृत्य करते हैं।
अब गूंज दक्षिण तक
पहले गरबा का आयोजन केवल गुजरात में हुआ करता था। यह नृत्य केवल गुजरातियों की ही शान माना जाता था। आजादी के बाद से गुजरातियों ने प्रांत के बाहर निकलना शुरू किया तो अन्य प्रदेशों में भी यह परम्परा पहुंच गई। आज इसका देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी आयोजन होता है।
विस्तृत हुआ है दायरा
डांडिया की खनक व गरबा गीत का दायरा विस्तृत हुआ है। सुदूर दक्षिण में गरबा व डांडिया लगातार विस्तार पा रहा है। माता रानी के भजनों एवं गीतों पर नृत्य किया जाता है। मां की भक्ति में डूबकर लोग ध्यान मग्न होकर नाचते हैं।
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सुधरी है परफॉर्मेंस
गरबा व डांडिया से खुद में आत्मविश्वास जगता है। हर साल नवरात्रि पर गरबा व डांडिया के कार्यक्रम में पहले भी भाग लेती रही हूं। अब पहले से अच्छा परफॉर्मेंस कर पा रही हूं।
-सृष्टि अग्रवाल
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खुद ही सीखा गरबा
मैंने खुद ही प्रैक्टिस करके गरबा व डांडिया सीखा है। अब हर वर्ष नवयुवक संघ की ओर से आयोजित होने वाले कार्यक्रम में हिस्सा ले रहा है। अन्य स्थानों पर ऐसे कार्यक्रम में भाग लिया है। अब तो कई बार पुरस्कार भी मिल चुके हैं। इससे उत्साह बढ़ा है।
-तरुण कुमार मोदी, बिजनसमैन।
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आया नया बदलाव
श्री अग्रवाल यूथ एसोसिएशन पिछले पांच वर्ष से गरबा व डांडिया का आयोजन कर रहा है। इस बार कई नए बदलाव किए गए हैं। बैण्ड की टीम मुम्बई से बुलाई गई है। बेस्ट कस्ट्यूम, बेस्ट डांस समेत अलग-अलग श्रेणियों में पुरस्कार दिए गए हैं। बच्चों के लिए भी अलग-अलग प्राइज दिए गए हैं।
-चिराग बंसल, सचिव श्री अग्रवाल यूथ एसोसिएशन
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