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मौजूदा दौर में नेटवर्क के माध्यम से रचे जा रहे उपन्यास

locationचेन्नईPublished: Feb 14, 2020 05:58:22 pm

मौजूदा दौर के लेखक मीडिया एवं नेटवर्क के माध्यम से उपन्यासों (Novel) की रचना कर रहे हैं।
 

The novel usually makes use of a literary prose style

The novel usually makes use of a literary prose style

चेन्नई. मौजूदा दौर के लेखक मीडिया एवं नेटवर्क के माध्यम से उपन्यासों की रचना कर रहे हैं।
डी.जी. वैष्णव महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोजकुमार सिंह ने यह बात कही। वे पेरम्बूर स्थित सीटीटीई महिला महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के तत्वावधान में स्वर्ण-स्तम्भ 2019-20 के तहत हिन्दी भाषा और साहित्य: उपन्यास के संदर्भ में विषयक व्याख्यानन में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रेमचन्द को केन्द्र मानकर हिंदी उपन्यास को तीन युगों में विभाजित किया जा सकता है। प्रेमचन्द के पूर्ववर्ती उपन्यास, प्रेमचन्दयुगीन उपन्यास एवं प्रेमचन्दोत्तर उपन्यास। प्रेमचन्द के पूर्व का उपन्यास साहित्य जासूसी, तिलस्मी एवं काल्पनिक रोमांस से युक्त होने के कारण मानव के यथार्थ जीवन से बहुत दूर था। ये उपन्यास कौतूहल की सृष्टि कर केवल मनोरंजन के साधन थे। प्रेमचन्द ने अपने उपन्यासों के द्वारा युगान्तर उपस्थित किया। प्रेमचन्द के उपन्यास भारत के राजनीतिक और सामाजिक जीवन का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करते हैं। उनके उपन्यासों में आदर्शोन्मुख यथार्थ के चित्रण द्वारा जीवन संघर्ष और चेतन जगत का सुन्दर चित्रण हुआ है। उनका गोदान भारत के समाज का यथार्थ और पूर्ण चित्र उपस्थित करने वाला महाकाव्यात्मक उपन्यास है।
गोदान में अनेक परिवारों की कथा
डॉ. मनोजकुमार सिंह ने कहा कि प्रेमचन्द ने जिस क्षेत्र में कार्य किया था, उसमें उनके उत्तराधिकारी क्रम का आरन्भ हुआ। प्रेमचन्द का उपन्यास सृजन 1902 में प्ररम्भ हो जाता है। उस समय उनकी आयु केवल 22 वर्ष थी। प्रेमचन्द के गोदान में अनेक परिवारों की कथा है, जो मिलकर एक विराट एवं सामाजिक परिवेश का निर्माण करती है। होरी का परिवार इसमें सर्वप्रमुख है। गबन उपन्यास की कथावस्तु में एक सामाजिक समस्या नारियों की आभूषण प्रियता और मध्यमवर्गीय परिवार या समाज की शैखी या झूठी मान-प्रतिष्ठा कते प्रदर्शन के कुपरिणामों का उल्लेख है।
हिंदी को देें बढावा
प्राचार्य डॉ. हनीफा घोष ने मुख्य अतिथि को मोमेन्टो भेंट कर स्वागत किया। इस मौके पर प्राचार्य ने कहा कि वे अपने खाली समय में हिंदी गाने सुनना पसंद करती है। हिंदी भाषा प्यार, सम्मान एवं स्नेह की भाषा है। इसे बढ़ावा देने के प्रयास किए जाने चाहिए।
हिंदी गतिविधियों की जानकारी
महाविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष सहायक प्रोफेसर डॉ. तस्लीम बानु ने स्वागत भाषण देते हुए हिन्दी विभाग की ओर से समय-समय पर आयोजित किए जाने वाली गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। महोत्सव के तहत आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में बीएससी प्रथम वर्ष की निशिप्रिया प्रथम व बीकाम प्रथम वर्ष की शिवानीसिंह द्वितीय रही। अन्त्याक्षरी में निशा प्रिया का ग्रुप व प्रिति कुमारी की टीम विजेता रही।
पीपीटी में निशिप्रिया अव्वल
भाषण प्रतियोगिता में शिवानी कुमारी प्रथम व निशिप्रिया द्वितीय रही। पीपीटी में निशिप्रिया अव्लल रही। कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण से की गई। बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा निशिप्रिया एवं निशा शर्मा ने प्रार्थना प्रस्तुत की एवं कार्यक्रम का संचालन किया। प्रिति कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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