scriptआत्मानुशासित व्यक्ति ही बनता है महान: मुनि प्रशांत | The superhuman person becomes the greatest: Muni Prashant | Patrika News

आत्मानुशासित व्यक्ति ही बनता है महान: मुनि प्रशांत

locationचेन्नईPublished: Apr 25, 2018 01:25:36 pm

Submitted by:

Arvind Mohan Sharma

विनम्रता से व्यक्ति की शोभा बढ़ती है। उनके जीवन में आत्मानुशासन का विशेष प्रभाव देखा जा सकता है

The superhuman person becomes the greatest: Muni Prashant

कोयम्बतूर तेरापंथ भवन में आचार्य महाश्रमण के जन्मदिवस पर धर्म सभा का आयोजन किया गया। मुनि प्रशांत कुमार ने कहा – कोई भी व्यक्ति गुणों के आधार पर आगे बढ़ता है। आचार्य महाश्रमण जीवन के प्रारंभ में ही गुणों का विकास करते रहे। उनके जीवन में विनम्रता का गुण विशेष रहा है। आचार्य बनने के बाद इस गुण का विकास और होता गया। विनम्रता से व्यक्ति की शोभा बढ़ती है। उनके जीवन में आत्मानुशासन का विशेष प्रभाव देखा जा सकता है। उन्होंने कहा जो स्वत: आत्मानुशासित होता है वही दूसरों का आध्यात्मिक विकास कर सकता है।
धीरता गंभीरता ,सहनशीलता ,सहजता ,सरलता ,आध्यात्मिकता ये अंतरंग गुण है

कोई भी व्यक्ति तभी योग्य बनता है जब उसके जीवन में अंतरंग गुणों का विकास हो ,धीरता गंभीरता ,सहनशीलता ,सहजता ,सरलता ,आध्यात्मिकता ये अंतरंग गुण है। अंतरंग गुणों से ही व्यक्ति का व्यक्तित्व महानता के रास्ते पर आगे बढ़ता है। मुनि ने कहा इंद्रिय संयम ,मन संयम, वाणी संयम आचार्य की साधना का एक लक्ष्य रहा है। दो आचार्य के पास रहकर अपने जीवन को तराशा। दोनों का उन्हें प्रशिक्षण मिला । प्रतिबोध मिला। साधना का सार मिला ।आध्यात्मिक विकास करने का अवसर मिला। आचार्य महाश्रमण ने दूर देश के साथ विदेश की धरती नेपाल और भूटान की यात्रा करके एक कीर्तिमान स्थापित किया है । जन -जन को अहिंसा यात्रा के माध्यम से मानवता से जुडऩे का अवसर मिला । उनकी यात्रा से जन-जन प्रभावित हो रहे हैं। जारों व्यक्तियों ने नशे का त्याग किया। अपने तन के साथ मन एवं भावना को विशुद्ध किया। नैतिकता सद्भावना रूपी गुणों से आमजन को जुडऩे का अवसर मिला। मुनि कुमुदकुमार ने कहा कि अनेक जन्मों से जीव संसार में परिभ्रमण करता आ रहा है। जन्म कहां लेना व्यक्ति के हाथ में नहीं परंतु जीवन कैसे जीना व्यक्ति पर निर्भर करता है। आचार्य ने अपने जीवन को जीने का सार निकाला । आचार्य महाश्रमण स्वयं अपनी आत्मा का कल्याण करते हुए धर्म संघ में आत्म कल्याण के विकास का अनुचिंतन कर रहे हैं। साधु- साध्वी श्रावक- श्राविकाओं में वैराग्य की भावना पुष्ट हो ऐसा प्रयास कर रहे हैं। धर्मसभा की शुरुआत गुणवंती बोहरा के मंगलाचरण से हुई। संयोजन ज्ञानशाला प्रशिक्षक रूप कला भंडारी ने किया।

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