मामला ओटेरी थाना क्षेत्र का है जहां 57 वर्षीय (भीख मांगने वाली) महिला की पैर में चोट लगने से गुरुवार को मौत हो गई, लेकिन उसके शव को कंधा देने के लिए कोई नहीं मिला। कंधा देना तो दूर, कोई शव को हाथ तक नहीं लगा रहा था। उसके घर में उसकी बड़ी बहनों के अलावा कोई और नहीं था। उन्होंने स्थानीय निवासियों से मदद मांगी लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से कोई आगे नहीं आया। उसकी कोरोना से मौत होने के संदेह में किसी ने मदद नहीं की।
सूचना पाकर पुलिस पहुंची मौके पर
महिला की मौत की सूचना पुलिस को दी गई। सूचना मिलने के बाद सचिवालय कॉलोनी पुलिस थाना निरीक्षक राजेश्वरी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंची और मौत का कारण जाना। ओटेरी के एसवीएम नगर रोड में तीन बहनें भीख मांगकर अपना गुजारा करती थी। तीन महीनों से जारी लॉकडाउन के दौरान महानगर निगम, पुलिस और स्वयंसेवक उनको भोजन उपलब्ध करा रहे थे।
तीनों बहनों में से एक प्रभावती (57) पिछले कुछ दिनों से बीमार थी। उसके पैर में चोट लगी थी। दर्द सहते-सहते प्रभावती की मौत हो गई। उसका शव सड़क किनारे पड़ा देख पुलिस निरीक्षक राजेश्वरी ने खुद के पैसे से समाजसेवियों और संस्थाओं से संपर्क किया और ओटेरी के शमशान घाट में उसके शव को दफनाया।
खाने के लिए नहीं था कुछ भी
गरीबी की मार झेल रही प्रभावती के घर में खाने के लिए एक दाना भी नहीं था लिहाजा पुलिसकर्मियों ने उनके खाने के लिए राशन का बंदोबस्त किया। पुलिस निरीक्षक राजेश्वरी ने एक महिला का अंतिम संस्कार किया, जिसके चलते पुलिस विभाग को काफी प्रशंसा मिली। पुलिस ने ही महिला के अंतिम संस्कार के सारे रीति रिवाज पूरे किए क्योंकि महिला की दोनों बहनें कब्रिस्तान आने की स्थिति में नहीं थी।