ऐसे में उपग्रह और हवाई चित्रण कम जोखिम वाले विकल्प प्रदान करते हैं जो अधिक जमीन को कवर करते है। ड्रोन को काम में लेने का विचार इसी से जुड़ा हुआ है, जो जरूरी सभी विश्लेषण कर सके।
‘आई इन द स्काई’
आईआईटी मद्रास, सेंटर फॉर इनोवेशन (सीएफआई) के छात्रों की एक टीम, कृत्रिम बुद्धि और कंप्यूटर विजन के साथ सक्षम ड्रोन का निर्माण कर रही है, जो आपदा प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों की सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी की पहचान करने और उन्हें संप्रेषित करने के लिए एक शुरुआत से अंत तक का समाधान विकसित करने के लिए है।
‘आई इन द स्काई’ नामक इस समाधान में एआई और स्वॉर्म इंटेलीजेंस काम आएगी। उद्देश्य ऐसा समाधान बनाना है जिसका उपयोग दुनिया के किसी भी आपदा प्रतिक्रिया बल की ओर से किया जा सके और इस तरह यह जीवन बचाने में मददगार साबित होगा।
निगरानी में भी उपयोगी
यह न केवल आपदा राहत कार्यों में काम लिया जा सकता है बल्कि निगरानी में भी अत्यंत उपयोगी साबित हो सकता है। ‘आई इन द स्काई’ वायु सेना और सेना को एक कुशल हवाई सर्वेक्षण करने में मदद कर सकता है, जिससे खाद्य और पानी की आपूर्ति और अन्य चिकित्सा और सुरक्षा सहायता मुहैया करवाई जा सके और मुसीबत में फंसी आबादी को मदद मिल सके।
यह उन्हें एक ध्वस्त संचार चैनल के पुनर्निर्माण में भी मदद कर सकता है और नेविगेशन सहायता प्रदान कर सकता है। इसके अतिरिक्त, टीम हार्डवेयर कंपनियों के साथ सहयोग करने की योजना बना रही है जो आपदा प्रभावित क्षेत्रों की आवश्यक स्पॉट निगरानी करने के लिए स्केलेबल ड्रोन तकनीक प्रदान कर सकती है। गैर-सरकारी संगठनों को भी विश्लेषण से जोड़ा जा सकता है।
सटीक स्थिति बता पाएगा
‘आई इन द स्काई’ स्थानीय राहत संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों को भी आकलन के निष्कर्षों का दस्तावेजीकरण करने में मदद कर सकता है, उपलब्ध संसाधनों और क्षमताओं की पहचान कर सकता है और कमजोरियों को दूर करने और जोखिमों को दूर करने के लिए आपदा प्रशासन को जानकारी प्रदान कर सकता है।
परियोजना कुछ नवीन तकनीकों का उपयोग करती है जो उच्च और निम्न ऊंचाई पर लोगों की स्थिति का सटीक पता लगाने में मदद कर सकती है, इससे यह पता लगाया जा सकता है कि कहीं दबा या फंसा व्यक्ति हिल रहा है या नहीं, यहां तक कि मलबे के नीचे दबे हुए लोगों का पता लगाना जहां बाहरी तौर पर उसके शरीर का केवल एक हिस्सा दिखाई दे रहा हो।