गौरतलब है कि स्टरलाइट प्लांट के खिलाफ १००वें दिन २२ मई २०१८ को प्रदर्शनकारी जिला कलक्ट्रेट का घेराव करने आगे बढ़े। उस वक्त प्रदर्शनकारियों को काबू करने की कोशिश का दावा करते हुए की गई पुलिस फायरिंग में एक किशोरी समेत १३ लोगों की मौत हो गई थी।
बाद में अन्नाद्रमुक शासन प्लांट ने बंद करते हुए फायरिंग की जांच के लिए सेवानिवृत्त जस्टिस अरुणा जगदीशन की अध्यक्षता में एकल जांच आयोग का ४ जून २०१८ का गठन किया। ४ साल की पड़ताल के बाद मई २०२२ में जस्टिस अरुणा जगदीशन ने अपनी रिपोर्ट सीएम एमके स्टालिन को सौंपी।
३ हजार पृष्ठों की रिपोर्ट
इस रिपोर्ट के तथ्य अब सार्वजनिक हुए हैं। पांच वॉल्यम वाली यह रिपोर्ट करीब ३ हजार पेजों वाली है। अरुणा जगदीशन ने रिपोर्ट में घटना वाले दिन के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों व जिला कलक्टर पर निशाना साधा है। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया कि प्रदर्शनकारियों ने ऐसे कोई हालात पैदा नहीं किए थे कि फायरिंग करनी पड़ जाए। साथ ही यह भी कहा गया कि पुलिस ने उस दिन ‘हदेंÓ पार कर दीं। भाग रहे प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई गईं। प्रदर्शनकारी इस बात से बेखबर थे कि बुलेट कौनसी दिशा से आ रही है इस वजह से जान की क्षति हुई।
आयोग ने इस घटना के लिए तत्कालीन आइपीएस अधिकारियों आइजी साउथ जोन शैलेश कुमार यादव, डीआइजी तिरुनेलवेली रेंज कपिल कुमार सी. सरकार, एसपी तुत्तुकुड़ी पी. महेंद्रन, डीएसपी तुत्तुकुड़ी लिंगतिरुमारन, तीन पुलिस निरीक्षकों, दो एसआइ, एक हेड कांस्टेबल और ७ कांस्टेबल को जिम्मेदार ठहराया है। आयोग ने सरकार से सिफारिश की है कि बिना किसी पूर्वाग्रह के इन पर कार्रवाई की जाए। तत्कालीन जिला कलक्टर एन. वेंकटेश के आचरण को पूर्ण लापरवाह बताया जो उस दिन जिला मुख्यालय से १०० किमी दूर कोविलपट्टी में थे। उन पर भी विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।
– पार्क में छिपकर पुलिस ने की फायरिंग
– गोलियां की दिशा से अनजान प्रदर्शनकारी इधर-उधर भागे
– भाग रहे लोगों पर भी साधा निशाना
– दूर से निशाना साधने वाली बंदूक का हुआ इस्तेमाल
– कोई भी पुलिसकर्मी घायल नहीं हुआ
– पुलिस फायरिंग अत्यंत क्रूर
– एक ही पुलिसकर्मी ने १७ राउंड फायरिंग की