scriptतमिलनाडु: नीलगिरी में 21 दिन के लम्बे प्रयास के बाद आदमखोर बाग को जिंदा पकड़ा गया | Tiger T-23 captured alive after 21-day hunt in Nilgiri | Patrika News

तमिलनाडु: नीलगिरी में 21 दिन के लम्बे प्रयास के बाद आदमखोर बाग को जिंदा पकड़ा गया

locationचेन्नईPublished: Oct 15, 2021 07:34:04 pm

Submitted by:

PURUSHOTTAM REDDY

– वन विभाग के अधिकारियों को मिली बड़ी कामयाबी

Tiger T-23 captured alive after 21-day hunt in Nilgiri

Tiger T-23 captured alive after 21-day hunt in Nilgiri

चेन्नई.

नीलगिरि जिले में तमिलनाडु वन विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को 21 दिनों से लुका छिपी का खेल रहे आदमखोर बाघ टी-23 (एमडीटी 23) को आखिरकार लम्बे अभियान के बाद पकडऩे में कामयाबी हासलि कर ली। यह वर्षों में अपनी तरह की पहली घटना है कि एक बाघ ने जीवन में बड़ा व्यवधान पैदा किया था। लगातार तलाशी के बाद अधिकारियों ने बाघ को जीवित पकड़ लिया और आगे की कार्रवाई तय करने के लिए उसे बंदी बना लिया।

बाघ ने कथित तौर पर पिछले कुछ दिनों में चार लोगों को मार डाला था। बाघ को पकडऩे के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चल रहा था, जिसने लगभग 100 वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों को पर्ची दी थी, जिनमें केरल के विशेष कार्य बल के कुछ और हफ्तों तक हाथियों को रखा गया था।

कैमरा टैप्स में दिखा बाग
बाघ की तलाश 21वें दिन पर पहुंच गया था और अधिकारियों को इसका पता लगाने और स्थानीय नागरिकों और उनके खेतों को सुरक्षा प्रदान करने की दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा था। इससे पहले आठ दिनों तक ओझल रहने के बाद बाघ को 12 अक्टूबर को ओंबेटा वन रेंज में सुबह 3 बजे एक इमेज ट्रैप कैमरे में फिर से देखा गया था। वन विभाग के अधिकारियों ने नजारा और लोकेशन मिलने के बाद इस बार लक्ष्य से न चूकने के लिए तलाश तेज कर दी थी।

पैदल तलाशी के अलावा अधिकारियों ने निगरानी कैमरे, ईगल-आई ट्रैकर्स और केरल में वन अधिकारियों और कुमकी हाथियों की मदद से जंगल में गहराई तक जाने के लिए भी स्थापित किया था।

सुबह शुरू हुई कार्रवाई और फिर…
कुछ लोग का ण्मूह गुरुवार की रात मसानागुडी में वाहन की मरम्मत कर रहे थे। उन्होंने एक बाघ को इलाके से गुजरते हुए देखा और तुरंत वन अधिकारियों को सूचित किया। रात करीब 10 बजे वन अधिकारियों की टीम डॉक्टरों की टीम के साथ इलाके में पहुंची। बाघ को जंगल में देखकर अधिकारियों ने उसे पकडऩे के लिए संवेदनाहारी इंजेक्शन लगाया था। हालांकि, बाघ भागने में सफल रहा और जंगल में गायब हो गया। अधिकारी कुमकी हाथियों की मदद से जंगल के अंदर चले गए।

उन्होंने शुक्रवार सुबह 2 बजे तक तलाशी ली थी। हालांकि, उन्हें बाघ नहीं मिला और वे वापस लौट आए। शुक्रवार सुबह वन विभाग के अधिकारियों ने जंगल में फिर से खोज शुरू की थी और उन्होंने एक बाघ को देखा जो एक हिरण का शिकार कर रहा था। अधिकारियों ने क्षेत्र को अपने नियंत्रण में ले लिया और उन्होंने फिर से बाघ की ओर एक संवेदनाहारी इंजेक्शन लगाया और इस बार वे लक्ष्य से नहीं चूके।

इंजेक्शन लगाने के बाद बाघ अपना होश खो बैठा और बेहोश होकर गिर पड़ा। जिसके बाद अधिकारियों ने उसे पिंजरे में बंद कर दिया। बाघ के पकड़े जाने की खबर से मसनागुड़ी और नीलगिरी के लोगों ने राहत की सांस ली। बाघ को जीवित पकडऩे के प्रयास वन विभाग के 100 अधिकारियों, पांच ड्रोन कैमरों, 50 से अधिक इमेज ट्रैपिंग कैमरों, दो कुमकी हाथियों और कई खोजी वाले कुत्तों द्वारा किए गए।


तमिलनाडु के वन मंत्री रामचंद्रन ने इलाके का दौरान किया और अगले कार्रवाई के बारे में अधिकारियों और डॉक्टरों की टीम के साथ चर्चा की। मंत्री रामचंद्रन ने कहा है कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के आदेश पर बाघ को जिंदा पकड़ लिया गया है।

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