सुप्रीम कोर्ट पहुंचा टिक टॉक पर प्रतिबंध मामला
चेन्नईPublished: Apr 09, 2019 03:19:13 pm
– अदालत ने तत्काल सुनवाई से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा टिक टॉक पर प्रतिबंध मामला
चेन्नई. टिक टॉक ऐप पर बैन लगाने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सोमवार को शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर कर मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। याचिका में हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी। हालांकि, शीर्ष कोर्ट ने केस की तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि वे मामले को देखकर लिस्ट के मुताबिक इसकी सुनवाई करेंगे।
ज्ञातव्य है कि इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को चीनी वीडियो मोबाइल ऐप टिक-टॉक पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहा था। कोर्ट ने मीडिया को भी टिक टॉक पर बने वीडियो का प्रसारण न करने के निर्देश दिए थे। अदालत के मुताबिक यह ऐप युवाओं के भविष्य और बच्चों के दिमाग को खराब कर रहा है।
अदालत का कहना है कि टिक टॉक पर अनुचित कंटेंट मुहैया कराया जा रहा है और इसे रोकना सरकार की सामाजिक जिम्मेदारी है। वहीं इससे पहले, तमिलनाडु के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री एम.मणिकंडन ने कहा था कि राज्य इस ऐप को भारत में प्रतिबंधित करने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखेगा।
टिक टॉक ऐप यूजर्स को शॉर्ट वीडियो शूट करने और इसे अन्य लोगों के साथ शेयर करने की सुविधा देता है। लोग इस प्लेटफॉर्म पर डांसिंग, सिंगिंग, फनी और हर तरह के वीडियो बनाते हैं। गौरतलब है कि इंडोनेशिया और बांग्लादेश में टिक टॉक पहले से ही बैन है।
हाईकोर्ट का कहना है कि टिक टॉक के माध्यम से अश्लील सामग्री परोसी जा रही है जो बच्चों के लिए हानिकारक है। कोर्ट का यह आदेश तमिलनाडु के सूचना और प्रसारण मंत्री एम मणिकंदन के बयान के दो महीने बाद आया है, मणिकंदन ने कहा था कि तमिलनाडु सरकार टिक टॉक ऐप को बैन करवाने के लिए केंद्र सरकार से बात करेगी। मंत्री ने कहा था कि ऐप से बच्चे गुमराह हो रहे हैं। इस ऐप को बैन करने की मांग की गई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस किरुबाकरण और जस्टिस एस एस सुंदर की बेंच ने यह आदेश जारी किया है। याचिका में कहा गया था कि इस ऐप के जरिए भारतीय संस्कृति को नुकसान हो रहा है। आदेश में कहा गया है कि याचिका में कुछ हानिकारक मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया था। टिक टॉक चाइनीज ऐप है। इंडिया में इसके 104 मिलियन (10.4 करोड़) यूजर्स हैं। यह ऐप इंडोनेशिया और बांग्लादेश में पहले से ही बैन है।