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जीविकोपार्जन के साथ धार्मिक कार्यों में भी दें समय

locationचेन्नईPublished: Sep 18, 2018 01:26:08 pm

माधवरम में जैन तेरापंथ नगर स्थित महाश्रमण सभागार में आचार्य महाश्रमण ने कहा ‘ठाणं’ आगम में वर्णित दूसरे देवलोक के आयुष्य पर प्रकाश डालते हुए कहा व्यक्ति के जीवन को तीन भागों में बांटा गया है।

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जीविकोपार्जन के साथ धार्मिक कार्यों में भी दें समय

चेन्नई. चेन्नई. माधवरम में जैन तेरापंथ नगर स्थित महाश्रमण सभागार में आचार्य महाश्रमण ने कहा ‘ठाणं’ आगम में वर्णित दूसरे देवलोक के आयुष्य पर प्रकाश डालते हुए कहा व्यक्ति के जीवन को तीन भागों में बांटा गया है। पहला भाग आठ से तीस वर्ष तक का होता है। इस समय में आदमी को अधिक से अधिक ज्ञानार्जन करने का प्रयास करने के साथ ही धार्मिक ज्ञान का अर्जन करने का भी प्रयास करना चाहिए। दूसरा भाग तीस से साठ वर्ष तक का होता है। इसमें अपने जीविकोपार्जन के कार्यों के साथ धार्मिक कार्यों में भी समय लगाने का प्रयास करना चाहिए। साठ से आगे के आयुष्य को तीसरा भाग माना जाता है। इसमें आदमी को अपनी आत्मा की ओर विशेष ध्यान देकर धर्म में प्रवृत्त होने और अपनी सुगति बनाने का प्रयत्न करना चाहिए। आदमी को भौतिक जीवन से मोड़ लेकर आध्यात्मिक जीवन जीने की ओर प्रस्थान करने की कोशिश करती चाहिए। पहला भाग आठ से तीस वर्ष तक का होता है। इस समय में आदमी को अधिक से अधिक ज्ञानार्जन करने का प्रयास करने के साथ ही धार्मिक ज्ञान का अर्जन करने का भी प्रयास करना चाहिए। दूसरा भाग तीस से साठ वर्ष तक का होता है। इसमें अपने जीविकोपार्जन के कार्यों के साथ धार्मिक कार्यों में भी समय लगाने का प्रयास करना चाहिए। साठ से आगे के आयुष्य को तीसरा भाग माना जाता है। इसमें आदमी को अपनी आत्मा की ओर विशेष ध्यान देकर धर्म में प्रवृत्त होने और अपनी सुगति बनाने का प्रयत्न करना चाहिए। प्रवचन के बाद आचार्य ने ‘मुनिपत के व्याख्यान’ क्रम को भी आगे बढ़ाया। आज भी आचार्य की मंगल सन्निधि में अनेक तपस्वियों ने अपनी-अपनी धारणा के अनुसार अपनी तपस्याओं का प्रत्याख्यान किया। प्रवचन के बाद आचार्य ने ‘मुनिपत के व्याख्यान’ क्रम को भी आगे बढ़ाया। आज भी आचार्य की मंगल सन्निधि में अनेक तपस्वियों ने अपनी-अपनी धारणा के अनुसार अपनी तपस्याओं का प्रत्याख्यान किया। इस प्रकार निरंतर तपस्या का क्रम जारी है।
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