मानव सम्मान को ठेस पहुंचाती
जिला प्रशासन का कहना है कि यह परंपरा मानव सम्मान को ठेस पहुंचाती है और इसे रोक देना चाहिए।
अधिकारियों का कहना है कि पट्टिना प्रवेशम से कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा होगी। मईलाडुटुरै के राजस्व मंडल अधिकारी जे. बालाजी ने प्रतिबंध आदेश जारी कर कहा कि यह प्रथा "मानव अधिकारों का उल्लंघन" है। इसके खिलाफ मठ के पदाधिकारी और अनुयायियों ने मोर्चा खोल दिया है और आदेश को दरकिनार कर पट्टिना प्रवेशम यात्रा निकालने का ऐलान कर दिया है। हिंदू संगठनों और भक्तों ने आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
सीएम स्टालिन से दखल की मांग
मदुरै अधीनम के महंत ज्ञानसंवदा दसीगर ने दावा किया ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। उनका कहना है कि ५०० साल पुरानी परंपरा को इस तरह बैन करने का किसी अधिकारी के पास अधिकार नहीं है। अंग्रेजों के जमाने में और आजादी के बाद भी किसी मुख्यमंत्री ने इस पर रोक नहीं लगाई थी। यह धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप है। हम मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से आग्रह करते हैं कि वह खुद इस मामले में दखल दें और पट्टिना प्रवेशम कराएं।
डीएमके पर बिफरी एआईएडीएमके
इस मामले को लेकर विधानसभा में भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच ठन गई। एआईएडीएमके और भाजपा ने एमके स्टालिन सरकार पर निशाना साधा। विपक्ष के नेता एडपाडि पलनीस्वामी (एआईएडीएमके) ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद २५ और २६ के अनुसार, (जो धार्मिक स्वतंत्रता के तहत अधिकार देता हैं) पट्टिना प्रवेशम कार्यक्रम पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। पलनीस्वामी ने सरकार से पट्टिना प्रवेशम कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति देने का आग्रह किया।
बीजेपी ने भी साधा निशाना
भाजपा के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने डीएमके सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर प्रशासन इस परंपरा को निभाने की इजाजत नहीं देता है तो वह खुद पालकी उठाएंगे। दूसरे मठ मदुरै अधीनम के महंत ने भी कहा है कि पालकी उठाने से कोई नहीं रोक सकता है।
सीएम स्टालिन निकालेंगे हल
तमिलनाडु के मानव संसाधन और सीई मंत्री पीके शेखर बाबू ने बुधवार को राज्य विधानसभा को बताया कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन अधीनम के साथ बातचीत के बाद इस मुद्दे का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन मठ के महंत से इस बारे में बात करेंगे।