ज्ञातव्य है कि गत 10 अगस्त को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह तमिलनाडु सरकार की तरफ से दायर राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों को रिहा करने की याचिका के खिलाफ है। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति केएम जोसफ की पीठ ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए दोषियों की रिहाई के संबंध में प्रस्ताव से जुड़ी केंद्र की याचिका को निस्तारित किया और तमिलनाडु के राज्यपाल से कहा कि वे वर्ष 1991 में हुए राजीव गांधी हत्याकांड मामले में दोषी ठहराए गए एजी पेरअरिवालन की दया याचिका पर विचार करें।
तमिलनाडु के राजनीतिक दलों ने सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश का स्वागत करते हुए राज्य सरकार से इस मामले में त्वरित कार्रवाई करने की मांग की है।
गौरतलब है कि इसी साल जून में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तमिलनाडु सरकार की उस दया याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें सातों दोषियों को रिहा करने की मांग की गई थी। इससे पूर्व 20 अगस्त को 47 वर्षीय पेरअरिवालन ने अदालत को लिखा था कि दिसंबर 2015 में तमिलनाडु के गवर्नर के पास दायर दया याचिका पर कोई फैसला नहीं लिया गया था। इसके बाद साल 2016 में तमिलनाडु सरकार ने दोषियों को छोडऩे का फैसला लिया था।
ज्ञातव्य है कि तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में 21 मई 1991 को एक चुनावी रैली में आत्मघाती महिला हमलावर ने धमाका कर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। इस हमलावर की पहचान धनु के रूप में हुई थी। इस धमाके में धनु समेत 14 लोग मारे गए थे। यह आत्मघाती बम धमाके का संभवत: पहला मामला था जिसमें एक हाईप्रोफाइल वैश्विक नेता की मौत हो गई थी।