स्टरलाइट प्लांट मुद्दे पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में एआईएडीएमके के सह-सरकार्यवाह और उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम, स्वास्थ्य मंत्री विजयभास्कर और राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री आरपी उदयकुमार समेत कई कई नेता मौजूद थे।
इस बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि स्टरलाइट प्लांट का इस्तेमाल ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए किया जा सकता है या नहीं। खास बात यह है कि सरकार ने इस बैठक में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम को आमंत्रित नहीं किया गया था।
दरअसल देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे और ऑक्सीन की कमी के बीच वेदांता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह स्टरलाइट प्लांट में ऑक्सीजन का उत्पादन करने की अनुमति देने का तमिलनाडु सरकार को आदेश दें। एमके स्टालिन और वाइको सहित राजनीतिक पार्टी के नेताओं ने कहा है कि कोई भी उस पैंतरेबाजी के शिकार होने के लिए तैयार नहीं है जो वेदांता देश में कोरोना संकट का लाभ उठाकर प्लांट में फिर से प्रवेश करने की कोशिश कर रहा है।
वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एल. मुरुगन ने सर्वदलीय बैठक में कहा कि तुत्तुकुडी स्टरलाइट संयंत्र केवल ऑक्सीजन उत्पादन के लिए खोला जा सकता है। उन्होंने सर्वदलीय बैठक में कहा कि तुत्तुकुडी में स्टरलाइट संयंत्र की देखरेख के लिए सुप्रीम कोर्ट के तहत एक विशेषज्ञ पैनल का गठन किया जाना चाहिए। बहरहाल सभी दलों ने मिलकर ऑक्सीन उत्पादन के लिए प्लांट खोलने पर सहमति जता दी है।
वर्ष 2018 में कानून व्यवस्था की दुहाई देते हुए इस कारखाने को बंद कर दिया गया था। प्लांट के आसपास रहने वाले लोगों को इस प्लांट से आपत्ति थी। स्थानीय लोगों की ओर से कोलिन गोंजाल्विस ने कोर्ट में कहा कि लोगों को इसकी वजह से कैंसर जैसी बीमारियों से सामना करना पड़ रहा है।
लोग परेशान हैं। वहीं सरकार को लगता है कि राज्य में ऑक्सीजन की जरूरत के मुताबिक समुचित सप्लाई है। लिहाजा हमें अतिरिक्त उत्पादन की जरूरत नहीं। हालांकि चीफ जस्टिस ने कहा कि ये मामला सिर्फ तमिलनाडु का नहीं बल्कि पूरे देश का है।
लिहाजा इस संकट के समय में स्थानीय लोगों की समस्याओं को दरकिनार करते हुए ऑक्सीजन उत्पादन सुनिश्चित किया जाना जरूरी है।
तमिलनाडु के तुत्तुकुडी बंदरगाह वाले इलाके में वेदांता समूह की कॉपर कंपनी स्टरलाइट में ऑक्सीजन उत्पादन यूनिट चालू करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार को आगे की सुनवाई बढ़ाएगा। इससे पहले शुक्रवार को हुई सुनवाई में कोर्ट की अहम टिप्पणी सामने आई।
इस दौरान कोर्ट ने कहा कि, कुछ लोगों को स्टरलाइट से दिक्कत हो या तमिलनाडु सरकार की खुशफहमी हो, लेकिन इन वजहों से देश के दूसरे हिस्सों के नागरिकों को मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता।