इस शर्त के साथ तमिलनाडु के ईरोड जिले जहां कोरोना पॉजीटिव के सबसे अधिक मामले प्रकाश में आए हैं तथा दिण्डीगुल में सोमवार को दो विवाह ऐसे हुए जहां चुनिन्दा लोगों के बीच वर-वधू परिणय सूत्र मेंं बंध गए।
दिण्डीगुल जिले के आत्तूर तहसील के आदिलक्ष्मीपुरम निवासी बालमुरुगन और हरिवर्षा का विवाह कुछ इस तरह हुआ जिसे वे जिन्दगी भर नहीं भुला सकेेंगे। बिना किसी बैंड-बाजे, ढोल नगाड़े व भीड़ के मास्क पहने हुए वर ने वधू के गले में वरमाला डाली और मंगलसूत्र पहनाया। विवाह की रस्में वर के घर पर ही हुईं जिसमें पंडित और सगे-संबंधियों सहित केवल १० जने शामिल हुए। बालमुरुगन का बेंगलूरु में ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय है।
मंंदिर के बाहर रचाया विवाह
पोल्लाची के सूलेश्वरमपट्टी के रहने वाले भारतराजा के बेटे विवेक कण्णन और ईरोड जिले के भवानी नलिनीपुरम निवासी कार्तिकेयन की बेटी निवेदा का विवाह तीन महीने पहले ही तय हो गया था। भवानी के संगमेश्वरन मंदिर में विवाह और उसके बाद रिसेप्शन रखा गया था। धारा १४४ की वजह से मंदिर बंद कर दिया गया और वहां होने वाले सभी आयोजन निरस्त कर दिए गए। विवेक के मां-बाप ने तय किया कि शादी उसी दिन होगी। वे रविवार को कार से भवानी पहुंचे। यहां सोमवार को चेरवरायनपालयम स्थित बालमुरुगन मंदिर के बाहर विवेक ने निवेदा को अपनी जीवनसंगिनी बनाया। इस मौके पर दोनों परिवारों के केवल दस लोग उपस्थित थेे। वर-वधू पक्ष का कहना है कि कोरोना का प्रकोप टल जाने के बाद वे बड़े स्तर पर रिसेप्शन का आयोजन करेंगे।