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TN : दक्षिण पेन्नार नदी से उठ रहा झाग कहीं जानलेवा साबित नहीं हो.. पढ़िए कैसे आया झाग

locationचेन्नईPublished: Sep 18, 2019 04:23:35 am

Submitted by:

P S VIJAY RAGHAVAN

Dharmapuri और Krishnagiri जिलों में चिंता
Karnataka की झीलों के बाद South Pennar River से उठ रहा झाग (Froths)
2003 में Cholera से मरे थे 45 लोग

TN : दक्षिण पेन्नार नदी से उठ रहा झाग कहीं जानलेवा साबित नहीं हो.. पढ़िए कैसे आया झाग

TN : दक्षिण पेन्नार नदी से उठ रहा झाग कहीं जानलेवा साबित नहीं हो.. पढ़िए कैसे आया झाग

चेन्नई. कर्नाटक की झीलों के बाद अब दक्षिण पेन्नार नदी में झाग उठने से धर्मपुरी और कृष्णगिरि के किसान और जनता चिंतित है। २००३ में इस वजह से फैले हैजा संक्रमण ने ४५ लोगों की जान लील ली थी।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण पेन्नार नदी धर्मपुरी और कृष्णगिरि जिलों में बहती है जिसके तट पर बसे गांवों के लोग २००३ में हैजा संक्रमण का शिकार हुए थे। हैजा से ग्रस्त होने के ९७९ मामले सामने आए थे। इस जानलेवा संक्रमण के बाद भी न तो तमिलनाडु और न ही कर्नाटक सरकार ने इसके प्रति कोई गंभीरता अथवा चिंता दिखाई है।
होसूर के अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता एस. सुंदरमूर्ति का आरोप है कि २००३ के संक्रमण को लेकर हमने जब आवाज उठाई तो कर्नाटक ने अपनी गलती मानी और चुपी साध ली। हालांकि उनकी ओर से नदी में अपशिष्ट के बहाव को लेकर कोई उपाय नहीं किया गया।
उनके अनुसार किसानों ने कोडियालम में नदी के बहाव में झाग देखा है। यह वह बिन्दु है जहां से दक्षिण पेन्नार नदी का तमिलनाडु में प्रवेश होता है। यह उठता झाग इस बात का साक्ष्य है कि १६ साल बाद भी कर्नाटक ने नदी जल को प्रदूषित होने से रोकने के कोई उपाय नहीं किए है।

दक्षिण पेन्नार नदी का उद्भव स्थल कर्नाटक की चिकबल्लापुर जिले के नंदी पहाड़ी है। उद्गम स्थल से यह नदी तमिलनाडु में धर्मपुरी, कृष्णगिरि, तिरुवण्णामलै, विल्लुपुरम और कडलूर जिलों में बहती है। कडलूर में बंगाल की खाड़ी में समाने से पहले यह नदी ४०० किमी का सफर तय करती है। इसका जलसंग्रहण क्षेत्र ३६९० वर्ग किमी का है।


यह है समस्या
नदी के दूषित और झागदार होने की समस्या वारातूर और बेलांदूर झीलों से शुरू होती है। तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जो अपघटित ठोस पदार्थ जुटाए हैं वे घरेलू अपशिष्ट के अलावा १८१ औद्योगिक इकाइयों का कचरा है जो बेलांदूर झील से दक्षिण पेन्नार नदी में आता है। सुंदरमूर्ति बताते हैं कि कर्नाटक ने भी हाईकोर्ट के निर्देश पर कुछ औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की है लेकिन फिर भी समस्या का निदान नहीं हो पाया है। कर्नाटक को दक्षिण पेन्नार नदी के संरक्षण के ठोस उपाय करने चाहिए।

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