सेलम जिले के अथानूरपट्टी गांव में रहने वाले नल्लतम्बी ने अब तक आस-पड़ोस की सड़कें ही खंगाली थी। पुरानी बोतलें बेचकर कमाई की। इस तरह जुटाई १० लाख की जमा पूंजी से उन्होंने मूर्ति लगाने के लिए पहले जमीन खरीदी। वे बताते हैं, युवावस्था में मैं अपना नाम बनाना चाहता था। मैं खुद की मूर्ति लगाना चाहता था। मैंने अपना सपना पूरा कर लिया है।
पारिवारिक विवाद से छोड़ा घर
20 साल पहले विवाद के बाद परिवार से अलग हुए नल्लतम्बी अथानूरपट्टी में आकर रहने लगा। उनकी पत्नी और बच्चे अभी भी पैतृक गांव में रहते हैं। पहले वे मजदूरी करते थे। अभी वे रोजाना 250 से 300 रुपए कमा लेते हैं। शुरुआती जमा पूंजी से उन्होंने वालपाडी-बेलूर रोड पर 1200 वर्ग फीट के 2 प्लॉट खरीदे। इसके बाद मूर्तिकार को एक लाख रुपए अदा कर अपनी आदमकद मूर्ति बनवाई जो ५ फीट की है। फिर इस मूर्ति को आधार बनाकर स्थापित कराया तथा ऊपर कंक्रीट की छत भी डलवाई।
उद्घाटन की तैयारी
उनके साथी बताते हैं कि नल्लतम्बी किसी के साथ भी अपनी कमाई साझा नहीं करता था। उनका सपना अपने पैसों से मूर्ति लगवाना था। अब यह मूर्ति राहगीरों में चर्चा का विषय बन चुकी है। वे चाहते हैं कि इसका भव्य उद्घाटन भी हो और उसकी तैयारी में जुटे हैं।