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प्लास्टिक बैन के खिलाफ कारोबारियों का छलका दर्द, १३ को करेंगे प्रदर्शन

locationचेन्नईPublished: Dec 11, 2018 03:20:11 pm

Submitted by:

PURUSHOTTAM REDDY

– प्लास्टिक कारोबार से जुड़े दो लाख कर्मचारी होंगे शामिल

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प्लास्टिक बैन के खिलाफ कारोबारियों का छलका दर्द, १३ को करेंगे प्रदर्शन

चेन्नई. राज्य सरकार द्वारा प्लास्टिक, पॉलिथीन बैग और थर्मोकोल पर बैन लगाए जाने के बाद आम लोगों के साथ-साथ कारोबारियों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं। हजारों करोड़ रुपए के नुकसान और लगभग दो लाख लोगों के रोजगार छिनने की आशंका के बीच दि तमिलनाडु प्लास्टिक मैनुफैक्चरर्स एसोसिएशन (टापमा) ने सरकार से इंसाफ की गुहार लगाई है। इसका कहना है कि जब बड़ी कंपनियों को पैकेजिंग के लिए प्लास्टिक उपयोग की छूट दी जा रही है, तो छोटे दुकानदारों के साथ अन्याय क्यों?
दि तमिलनाडु प्लास्टिक मैनुफैक्चरर्स एसोसिएशन ने राज्य सरकार से प्लास्टिक पर बैन लगाने के अपने फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। एसोसिएशन की मांग है कि पुराना माल खपाने के लिए समय दिया जाए। इस सिलसिले में टापमा राज्य के प्लास्टिक कारोबार और उससे जुड़े उद्योगों के कर्मचारी बैन से जुड़े सरकार के फैसले के खिलाफ १३ दिसम्बर को प्रदर्शन करेंगे। टापमा के बैनर तले राज्य के ८ हजार से अधिक उद्योगों से जुड़े दो लाख कर्मचारी प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे। टापमा के इन्वायरमेंट कमेटी के चेयरमैन बी स्वामीनाथन ने सोमवार को पत्रकार सम्मलेन में यह बात कहीं।
ज्ञातव्य है कि पांच जून को मुख्यमंत्री एडपाडी के. पलनीस्वामी ने घोषणा की थी कि 1 जनवरी 2019 से तमिलनाडु प्लास्टिक मुक्त होगा। हालांकि दूध, दही, तेल और दवाइयों में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक पर छूट दी जाएगी।
यहां सोमवार को बी स्वामीनाथन ने बताया कि प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने का तमिलनाडु सरकार का निर्णय सही नहीं है। इससे १५०० करोड़ रुपए की पूंजी और २ लाख लोगों का रोजगार और आजीविका खतरे में पड़ सकती है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर निर्णय लेने के बजाय राज्य सरकार सिर्फ एक धुन लिए बैठी है कि ६ महीने में तमिलनाडु को प्लास्टिक मुक्त बनाना है। इससे प्लास्टिक से जुड़े कारोबारियों का धंधा चौपट हो सकता है।
प्लास्टिक बंद करने से धंधा होगा चौपट
टापमा के अध्यक्ष विरेन्द्र कुमार भयानी ने बताया कि खाद्य तेल प्लास्टिक की थैलियों में आता है। इन थैलियों को बंद करने से पूरा धंधा ही चौपट तो जाएगा। उनका व्यापार ठप पड़ जाएगा। इससे आम ग्राहकों को भी नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विदेशी निवेश को आकर्षित करने में करोड़ो रुपए खर्च कर ग्लोबल इन्वेस्टमेंट मीट (जीआईएम) का आयोजन कर रही है लेकिन जो इंडस्ट्री पहले से राज्य में है उनको बर्बाद करने में लगी हुई है। सरकार विदेशी निवेश आने से रोजगार देने की बात करती है लेकिन प्लास्टिक का धंधा बंद करने से दो लाख लोगों की रोजी-रोटी संकट में आ जाएगी यह सरकार नहीं सोच रही। सरकार ने बिना दूसरे विकल्प के आठ हजार छोटे-बड़े धंधों को एक साथ बंद करने का आदेश जारी कर दिया।

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बंद से पड़ेगा असर
– ३ हजार करोड़ रुपए का निवेश निष्क्रिय हो जाएगा
– ४ हजार करोड़ का बैंक लोन, एनबीएफसी और निजी ऋणदाताओं से लिया गया ऋण एसएमई एनपीए बन जाएगा
– ५ हजार से अधिक प्लास्टिक इंडस्ट्री विशेषकर एसएमई धंधा बंद करने पर मजबूर होंगे।
– सरकार को सलाना १८०० करोड़ रुपए का जीएसटी से होने वाला राजस्व कम हो जाएगा।
– यह इंडस्ट्री दूसरे राज्यों में चली जाएगी जहां की सरकार उन्हें जमीन और बुनियादी ढांचा देने को तैयार है।
– अन्य प्लास्टिक धंधों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह
– दो लाख लोगों के रोजगार पर संकट
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