इन दोनों फ्लाईओवर के कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। पहले उनको विजय नगर में जाम से निपटकर निकलना पड़ता है फिर दो तीन किलोमीटर की दूरी तय करते ही दूसरे जाम से दो-चार होना पड़ता है।
तीन सालों से कछुआ चाल से निर्माणाधीन पल्लीकरणै फ्लाईओवर आमजन के लिए मुसीबत बना हुआ है। अक्सर लगते जाम से जहां वाहन चालकों को प्रदूषण से जूझना पड़ता है वहीं ट्रेफिक सिग्नल पर जमा होती भीड़ बाइक सवारों का पारा को बढ़ा देती है। तपती धूप में बाइक सवारों को जब लम्बी कतार में खड़े होकर ट्रेफिक खुलने का इंतजार करना पड़ता है तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर चला जाता है और वे मन ही मन यातायातकर्मी के साथ ही मौजूदा सरकार को भी कोसते नजर आते हैं। बाइक सवारों का कहना होता है कि यहां जब ट्रेफिक जाम लगता है तो उसे खुलने में आधा घंटे से भी अधिक समय लग जाता है। इतने समय तक तेज धूप में खड़े होकर ट्रेफिक खुलने का इंतजार करना बेहद कष्टदायक होता है।
बता दें कि इस फ्लाईओवर का जुड़ाव ग्रांड सदर्न ट्रंक रोड और आईटी कोरिडोर ओएमआर से जुड़ा हुआ है। इस यातायात सिग्नल पर लंबा जाम लगने पर आइटी कं पनियों में कार्यरत कर्मचारियों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। एक बाइक सवार मुरुगेशन ने कहा कि काम से लौटते समय इचानगाडु ट्रेफि क सिग्नल पर हमेशा २० से ३० मिनट तक जाम में फंसना आम बात है। इतने समय तक वाहनों से निकल रहा प्रदूषित धुआं लोगों की हालत खराब कर देता है। उन्होंने कहा कि यहां मिट्टी बहुत पसरी हुई है इसलिए कुछ मिनट में ही धूल आखों और कपड़े पर भर जाती है।
मुश्किल से निकलती है एंबुलेंस
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यहां पीक अवर्स में बहुत ही विकट स्थिति पैदा हो जाती है। जब तीनों तरफ से वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं, ऐसे में यदि कोई एंबुलेंस आ जाए तो उसे भी निकलने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
अरुलवेल ने बताया कि बरसाती मौसम में यहां वाहनों को आवाजाही में बेहद जद्दोजहद करनी पड़ती है। पूझुदीवाक्कम निवासी एमबी सुभाष ने मौजूदा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब तक यह सरकार रहेगी इस देश का कुछ नहीं होने वाला है। दोनों गठबंधनों के नेता सिर्फ अपनी सरकार बनाने के लिए मरते हंै। इन लोगों को आमजन की परेशानी से कोई लेना देना नहीं है। इसी प्रकार इस सिग्नल की साइड में चाय की दुकान चला रहे आरुमुगस्वामी ने बताया कि इस ट्रेफिक सिग्नल के पास धूल बहुत उड़ती है। इसके कारण चाय पीने के लिए भी ग्राहक यहां रुकने से कतराते हैं जिससे उसका व्यवसाय प्रभावित हो रहा है।
इनका कहना है…
स्टेट हाइवे विभाग जिम्मेदार
इस फ्लाईओवर के निर्माण में देरी के लिए स्टेट हाईवे विभाग पूरी तरह जिम्मेदार है। कभी इसके लिए धन की कमी होती है तो कभी सामग्री समय पर नहीं आती। यही कारण है कि इसका निर्माण कार्य फरवरी २०१६ में शुरू हुआ था लेकिन अब तक पूरा नहीं हुआ।
बी. जनार्दन, यातायात अधिकारी
तेजी से चल रहा है कार्य
फ्लाईओवर का निर्माण कार्य बहुत तेजी से चल रहा है। आशा है आगामी छह महीने में यह बनकर तैयार हो जाएगा।
जीवेंद्रन, इंजीनियर, स्टेट हाइवे विभाग