राजपुरोहित ने बताया कि स्थानीय लोगों की भावना को देखते हुए प्राधिकरण ने इस वृक्ष को प्रत्यारोपित करने की योजना बनाई। इस कार्य में स्थानीय प्रशासन की भी मदद ली गई। इस कार्य को मूर्त रूप देने के लिए कोयम्बत्तूर के मैं पसुमै नामक एनजीओ से संपर्क किया गया तो छह सदस्यों की एनजीओ की टीम जगन्नाथपुरम पहुंची। इसके बाद पेड़ की छंटाई का काम शुरू हुआ। वृक्ष के दोनों तनों को जड़ों सहित अलग-अलग किया गया तथा उसे कोशास्थलयार नदी के किनारे स्थानांतरित किया गया, यह स्थान राजस्व अधिकारियों की ओर से चयनित किया गया था। काफी वर्षों से लंबित कार्य को आखिर सुचारू रूप से अंजाम दिया गया।
राजपुरोहित ने बताया ग्रामीणों का कहना था कि यह पेड़ एक विरासत है। हम लोगों ने इसकी सेवा की है। अब इसका प्रत्यारोपण किया गया है। इसकी •ाड़ें नए स्थान पर प्रत्यारोपित हो गई हैं। ग्रामीणों की भावनाओं का आदर करते हुए वृक्ष को प्रत्यारोपित करने का निर्णय लिया गया।