भले ही इस ब्रिज से वाहनों का आवागमन पूरी तरह बंद कर दिया गया हो लेकिन फिर भी किसी तरह बाइक सवार आवाजाही करते नजर आते हैं लेकिन जो पहले किसी तरह ऑटो एवं हाथ ठेले जैसे तिपहिया वाहन आवागमन करते थे वे अब नहीं निकल सकते। इसके कारण उनकी आजीविका पर गहरा असर पड़ा है। उनको काफी चक्कर लगाकर गंतव्य पर पहुंचना पड़ता है।
गौरतलब है कि एलिफेंट गेट ब्रिज करीब डेढ़ सौ साल पुराना है। पिछले कई सालों से इस ब्रिज के पुनर्निर्माण की कार्रवाई रही थी, लेकिन रेलवे और ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन के बीच तालमेल नहीं होने के कारण काम अटका हुआ था। ऐसा नहीं है कि अब भी ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन और दक्षिण रेलवे के बीच सभी पहलुओं पर सहमति बन गई है लेकिन पिछले कुछ सालों से इस ब्रिज का ऊपरी हिस्सा टूटकर रेलवे ट्रेक पर गिरने लगा। इसके बाद दक्षिण रेलवे ने इसके शीघ्र पुनर्निर्माण का फैसला लिया ताकि कोई अनहोनी न हो जाए।
गिरने लगा था ब्रिज का मलबा
रेलवे अधिकारियों की मानें तो पिछले कुछ महीनों से रेलवे ट्रेक पर ब्रिज का मलबा टूटकर गिरने लगा था जो खतरनाक साबित हो सकता था इसीलिए इस ब्रिज को शीघ्र तोड़कर नया बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। अधिकारियों का यह भी कहना था कि इस रेलवे ओवरब्रिज को नया बनाने की मुख्य वजह इसकी जर्जरता है जो बिलकुल भार सहन करने की स्थिति मे नहीं है। इसीलिए इस पर से भारी वाहनों की आवाजाही दो साल पहले ही बंद कर दी गई थी, जबकि यह ब्रिज साहुकारपेट, चूलै और पूलीयानतोप के बीच सेतु का काम करता है। इस ब्रिज के बंद होने से इन इलाकों के व्यापारियों के बिजनेस पर भी काफी असर पड़ा है।
बिजली केबल उखाडऩे का काम जारी
टांजेडको सूत्रों का कहना है कि टांजेडको ने इस ब्रिज पर लगी सभी हाई टेंशन बिजली की केबल्स को हटाने का काम शुरू कर दिया है। इसे हटाने में अमूमन एक महीने का समय लग सकता है। इसके बाद दक्षिण रेलवे इस ब्रिज को ध्वस्त कर देगा। वहीं कॉर्पोरेशन सूत्रों के अनुसार दक्षिण रेलवे द्वारा ब्रिज को ध्वस्त करने के बाद ही ब्रिज निर्माण का कार्य शुरू किया जाएगा। सरकार द्वारा इस ब्रिज के निर्माण के लिए २७ करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित है। दक्षिण रेलवे की योजना ब्रिज के टूटने के बाद दो अतिरिक्त रेलवे लाइनें और पश्चिमी इलाके के लिए अलग टर्मिनल बनाने की है जिनका प्रसार साल्ट कोटर्स यार्ड तक होगा। वहीं से पश्चिमी इलाके की लोकल ट्रेनों का संचालन भी साल्ट कोटर्स से ही किया जाएगा।
इस ब्रिज के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा जमीन अधिग्रहण की है। दक्षिण रेलवे, टांजेडको और कॉर्पोरेशन के बीच जमीन की अदला बदली पर फैसला नहीं होने के कारण ही एलिफेंट गेट ब्रिज का निर्माण अधूरझूल में है। जहां टांजेडको रेलवे से हाई वोल्टेज केबल और ट्रांसफार्मर शिफ्टिंग के लिए २० करोड़ की मांग कर रहा है वहीं रेलवे टांजेडको से ४३ करोड़ की मांग की है। ऐसे में इस ब्रिज के निर्माण में कई बाधाएं एलिफेंट गेट ब्रिज रुकने से दुपहिया वाहन चालक परेशान
चेन्नई. एलिफेंट गेट ब्रिज को तोडऩे का काम शुरू हो चुका है और इस पर आवाजाही रोकने के लिए सड़क के दोनों तरफ बेरिकेड लगा दिए गए हैं।
हालांकि एलिफेंट गेट ब्रिज पर भारी वाहनों का आवागमन तो दो साल पहले ही बंद कर दिया गया था केवल दुपहिया वाह ही आवाजाही कर रहे थे जिसे गत माह बंद कर दिया गया।
भले ही इस ब्रिज से वाहनों का आवागमन पूरी तरह बंद कर दिया गया हो लेकिन फिर भी किसी तरह बाइक सवार आवाजाही करते नजर आते हैं लेकिन जो पहले किसी तरह ऑटो एवं हाथ ठेले जैसे तिपहिया आवागमन करते थे वे अब नहीं निकल सकते। इसके कारण उनकी आजीविका पर गहरा असर पड़ा है। उनको काफी चक्कर लगाकर गंतव्य पर पहुंचना पड़ता है।
गौरतलब है कि एलिफेंट गेट ब्रिज करीब डेढ़ सौ साल पुराना है। पिछले कई सालों से इस ब्रिज के पुनर्निर्माण की कार्रवाई रही थी, लेकिन रेलवे और ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन के बीच तालमेल नहीं होने के कारण काम अटका हुआ था। ऐसा नहीं है कि अब भी ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन और दक्षिण रेलवे के बीच सभी पहलुओं पर सहमति बन गई है लेकिन पिछले कुछ सालों से इस ब्रिज का ऊपरी हिस्सा टूटकर रेलवे ट्रेक पर गिरने लगा। इसके बाद दक्षिण रेलवे ने इसके शीघ्र पुनर्निर्माण का फैसला लिया ताकि कोई अनहोनी न हो जाए।
रेलवे अधिकारियों की मानें तो पिछले कुछ महीनों से रेलवे ट्रेक पर ब्रिज का मलबा टूटकर गिरने लगा था जो खतरनाक साबित हो सकता था इसीलिए इस ब्रिज को शीघ्र तोड़कर नया बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। अधिकारियों का यह भी कहना था कि इस रेलवे ओवरब्रिज को नया बनाने की मुख्य वजह इसकी जर्जरता है जो बिलकुल भार सहन करने की स्थिति मे नहीं है। इसीलिए इस पर से भारी वाहनों की आवाजाही दो साल पहले ही बंद कर दी गई थी, जबकि यह ब्रिज साहुकारपेट, चूलै और पूलीयानतोप के बीच सेतु का काम करता है। इस ब्रिज के बंद होने से इन इलाकों के व्यापारियों के बिजनेस पर भी काफी असर पड़ा है।
टांजेडको सूत्रों का कहना है कि टांजेडको ने इस ब्रिज पर लगी सभी हाई टेंशन बिजली की केबल्स को हटाने का काम शुरू कर दिया है। इसे हटाने में अमूमन एक महीने का समय लग सकता है। इसके बाद दक्षिण रेलवे इस ब्रिज को ध्वस्त कर देगा। वहीं कॉर्पोरेशन सूत्रों के अनुसार दक्षिण रेलवे द्वारा ब्रिज को ध्वस्त करने के बाद ही ब्रिज निर्माण का कार्य शुरू किया जाएगा। सरकार द्वारा इस ब्रिज के निर्माण के लिए २७ करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित है। दक्षिण रेलवे की योजना ब्रिज के टूटने के बाद दो अतिरिक्त रेलवे लाइनें और पश्चिमी इलाके के लिए अलग टर्मिनल बनाने की है जिनका प्रसार साल्ट कोटर्स यार्ड तक होगा। वहीं से पश्चिमी इलाके की लोकल ट्रेनों का संचालन भी साल्ट कोटर्स से ही किया जाएगा।
इस ब्रिज के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा जमीन अधिग्रहण की है। दक्षिण रेलवे, टांजेडको और कॉर्पोरेशन के बीच जमीन की अदला बदली पर फैसला नहीं होने के कारण ही एलिफेंट गेट ब्रिज का निर्माण अधूरझूल में है। जहां टांजेडको रेलवे से हाई वोल्टेज केबल और ट्रांसफार्मर शिफ्टिंग के लिए २० करोड़ की मांग कर रहा है वहीं रेलवे टांजेडको से ४३ करोड़ की मांग की है। ऐसे में इस ब्रिज के निर्माण में कई बाधाएं सामने है जबकि आमजन इस ब्रिज के बंद होने से परेशानी में पड़ गया है।