बाजार में माल की खपत नहीं होने के कारण जहां कंपनियों ने उत्पादन कम कर दिया है वहीं तैयार और कच्चे माल की ढुलाई में लगी ट्रांसपोर्ट कंपनियों के पास भी परिवहन के ऑर्डर मिलना बहुत कम हो गए हैं। आलम यह है कि पिछले वर्षों की तुलना में माल परिवहन में भारी गिरावट आई है। इसका खामियाजा उन कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है जो कहीं न कहीं ट्रांसपोर्ट कंपनियों में कार्य करते हैं।
यदि आंकड़ों पर गौर करें तो महानगर में भी हजारों की संख्या में गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनियां कार्यरत हैं जिनमें कई ट्रांसपोर्ट कंपनियां तो राष्ट्रीय स्तर पर माल का परिवहन करते हैं वहीं कई कंपनियां रीजनल और राज्य स्तरीय ट्रांसपोर्ट सेवाएं देती रही हैं।
इन ट्रांसपोर्ट कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों का मानना है कि पिछले सालों की तुलना में ट्रांसपोर्ट के व्यवसाय में भारी गिरावट आई है जिसके कारण उनकी रोजी-रोटी पर संकट उत्पन्न हो गया है। पुदुचेरी की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में कार्यरत अजीत कुमार ने बताया कि कुछ महीने पहले उसकी कंपनी ने उसे यह कहकर नौकरी से हटा दिया कि उक्त ट्रांसपोर्ट कंपनी को इस वर्ष कोई नया कॉन्ट्रेक्ट ही नहीं मिला इसलिए फिलहाल कर्मचारियों की जरूरत नहीं है। इसके चलते वह पिछले तीन महीने से काम की तलाश कर रहा है। उसने कहा कि किसी ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम के लिए संपर्क करने पर एक ही जवाब मिलता है कि अभी नए कर्मचारियों का जरूरत नहीं है। इसी प्रकार एक अन्य कंपनी में लॉजिस्टिक देख रहे कर्मचारी नागराज ने बताया कि कुछ साल पहले उनकी कंपनी में बहुत काम था और एक साथ दो दर्जन से भी अधिक कर्मचारी काम करते थे। हर महीने सैकड़ों ट्रक और ट्रेलर से माल का परिवहन होता था लेकिन पिछले छह महीने में बिलकुल नीचे आ गया है।
उनकी कंपनी कर्मचारियों को इधर उधर ट्रांसफर कर रही है उनका भी तबादल हैदराबाद कर दिया गया है लेकिन वह परिवार के साथ चेन्नई में रहता है। उसका कहना था कि बच्चे की खातिर हमें ट्रांसफर मंजूर नहीं है। इसलिए यहीं पर अन्य कंपनी में काम की तलाश रहा हूं लेकिन अब तक कोई नया काम नहीं मिला है। वहीं शोलावरम में ट्रांसपोर्ट कंपनी चला रहे जयशंकर ने बताया कि सालभर पहले वह हर माह एक करोड़ रुपए का गुड्स ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय करता था। दर्जनों कर्मचारी उसके साथ काम कर रहे थे लेकिन मौजूदा सरकार की नीति से ट्रांसपोर्ट का व्यवसायी बिलकुल खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है। एक साथ पांच कर्मचारियों का वेतन देना उसे अखरता है जबकि काम कुछ बचा ही नहीं है।
पूंदमल्ली के एक ट्रांसपोर्ट कर्मचारी दीपक सिंह का कहना था कि केंद्र सरकार के गलत फैसले के कारण ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय खत्म हुआ है। एक साथ नोटबंदी और जीएसटी ने व्यापार की कमर तोड़ दी है। लोगों के हाथ से काम छिन चुका है। पिछले साल तो जैसे तैसे वेतन मिल रहा था लेकिन अब तो समय से वेतन भी मिलना बंद हो गया है।