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बच्चों से लगाव ऐसा कि सौ किमी का फासला तय कर लिया

locationचेन्नईPublished: Aug 08, 2020 10:03:20 pm

हैडमास्टर ने स्कूल के 57 बच्चों को घर-घर जाकर उपलब्ध कराई पुस्तकें

travelled over 100 km to distribute books and bags to his students

travelled over 100 km to distribute books and bags to his students

चेन्नई. के. मूर्ति आज उन हजारों बच्चों, अभिभावकों व शिक्षकों के लिए मिसाल बन चुके हैं। कोविड-19 महामारी के बीच जब स्कूलें बन्द हैं तो उन्होंने ऐसा काम किया कि वे अब समूचे शिक्षा विभाग के लिए आदर्श बन गए हैं। दरअसल करुर जिले के एक पंचायत यूनियन प्राइमरी स्कूल में हैडमास्टर के. मूर्ति ने सौ किमी का फासला तय कर लॉकडाउन के बीच उन 57 बच्चों को घर-घर जाकर नई पुस्तकें उपलब्ध कराई ताकि वे उनसे पढ़ सकें और उनका साल बेकार न जाए। लॉकडाउन के कारण इन दिनों स्कूल बन्द हैं। ऐसे में बच्चे अपने घर पर रहकर ही पढ़ाई कर रहे हैं। बच्चों के पास पुस्तकें नहीं थी। तोत्तियापट्टी करुर-तिरुपुर जिला बोर्डर पर के. परमति यूनियन में स्थित है।
विभाग ने भेजी थी पुस्तकें
यहां स्कूल में 67 बच्चे थे। पांचवीं पास करने के बाद अब दूसरी से पांचवीं कक्षा तक शैक्षणिक सत्र 2020-21 में 57 बच्चे रह गए हैं। समूचे प्रदेश में स्कूलें बन्द हैं लेकिन शिक्षा विभाग ने बच्चों के लिए किताबें भेज दी है। तोत्तियापट्टी प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए पुस्तकें व बैग विभाग की ओर से भेज दिए गए। लॉकडाइन को देखते हुए स्कूल के हैडमास्टर मूर्ति ने अनोखी पहल की। वह अपने निवास से सौ किमी के दायर में फैले उन बच्चों के गांवों में पहुंचे और बच्चों के घर-घर जाकर उन्हें पुस्तकें व बैग उपलब्ध कराए।
पुस्तकें व बैग दिए
मूर्ति ने बताया कि जैसे ही पुस्तकें उपलब्ध हुई तो मैंने बच्चों को पुस्तकें देने का निर्णय कर लिया। सभी पुस्तकें, बैग व स्टेशनरी मैंने मेरे वाहन में रखे। इन 13 गांव के 57 बच्चों को सौ किमी की दूरी तक उनके अभिभावकों की मौजूदगी में पुस्तकें व बैग दिए। बाद में उन्हीं गलियों में पेड की छांव में बच्चों को पढ़ाया भी। साथ ही उन्हें हर रोज कल्वी टीवी पर सांय 5 से 7 बजे के बीच पाठ सीखने को कहा।
अधिकांश के पास नहीं स्मार्टफोन
मूर्ति ने कहा कि मैंने अभिभावकों से भी आग्रह किया वे अपने बच्चों को होमवर्क के अपडेट के बारे में रोज वाट्सऐप नंबर पर मैसेज भेज दें। हालांकि कई अभिभावकों के पास स्मार्टफोन नहीं है। कई अभिभावक क्यूआर कोड एप से परिचित नहीं है। मैंने उन्हें बताया कि इसे कैसे इन्साटल करके काम में लेना है।
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