रॉकफोर्ट सिटी में त्रिकोणीय संघर्ष
तिरुचिरापल्ली संक्षिप्त में तिरुचि जो रॉकफोर्ट की वजह से मशहूर है का नाम जेहन में आते ही २०१४ आम चुनाव के पूर्व की भाजपा की रैली का स्वत: स्मरण...

चेन्नई।तिरुचिरापल्ली संक्षिप्त में तिरुचि जो रॉकफोर्ट की वजह से मशहूर है का नाम जेहन में आते ही २०१४ आम चुनाव के पूर्व की भाजपा की रैली का स्वत: स्मरण हो आता है। यह नरेंद्र मोदी की पहली रैली थी जब उनको भाजपा की ओर से पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था।
रॉकफोर्ट की चुनाव रैली उनके लिए विजयी साबित हुई और वे रेडफोर्ट यानी दिल्ली पहुंच गए। तिरुचि हमेशा से राष्ट्रीय दलों का रास आई है। अब आलम देखिए कि अब तक जितने भी लोकसभा चुनाव हुए हैं उनमें से केवल एक बार ही डीएमके जीत पाई है। पिछले दो आम चुनाव अन्नाद्रमुक के खाते में गए। मौजूदा सांसद पी. कुमार को टिकट नहीं मिला है।
वे २००९ से इस सीट का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे थे। दोनों ही प्रमुख द्रविड़ दलों ने यह सीट साझा दलों के लिए छोड़ दी है। एएमएमके की मौजूदगी में इस बार त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनी हुई है। मतदाताओं को डॉक्टर, पूर्व मेयर और पूर्व केंद्रीय मंत्री में से एक को अपना प्रतिनिधि चुनना है।
सीट का इतिहास
तिरुचि सीट में श्रीरंगम, तिरुचि पश्चिम, तिरुचि पूर्व, तिरुवेरूम्बूर, गंधर्वकोट्टै (आरक्षित) और पुदुकोट्टै विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें से तीन सीटों पर डीएमकेे का कब्जा है। तिरुचि में केंद्र सरकार के भेल समेत कई उपक्रम हैं।
कावेरी और कोल्लीड़म नदी का प्रवाह इस क्षेत्र की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। मंदिरों की अधिकता और श्रीरंगम मंदिर की वजह से तीर्थाटन व पर्यटन से अच्छी आय होती है। यह वह जिला है जहां औद्योगिकीकृत है और कृषि क्रियाओं से भरपूर है। कावेरी बेसिन में पनपे तिरुचि में चावल प्रमुख उपज है।
अंग्रेजों के जमाने में तिरुचि तमिलनाडु की दूसरी राजधानी के रूप में जानी जाती थी। १९५१ से २०१४ तक के आम चुनाव की बात की जाए तो राष्ट्रीय दलों का यहां बोलबाला रहा है। १९५१ से ७६ के बीच इस सीट का ७ बार परिसीमन हुआ। २००८ के परिसीमन के बाद इसमें पुदुकोट्टै और गंधर्वकोट्टै विस क्षेत्र शामिल कर दिए गए।
जातिगत और राजनीतिक गणित
तिरुचि सीट में मुत्तरायर, वेल्लालर, मुक्कुलत्तूर, दलित, ब्र्राह्मण, मुस्लिम और ईसाई प्रमुख रूप से बसे हैं। गंधर्वकोट्टै में दलित तो श्रीरंगम में ब्राह्मण मतदाताओं की अधिकता है। इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार चार बार जीते हैं। चार बार माकपा और तीन बार अन्नाद्रमुक ने यह सीट जीती। तमिलनाडु में नहीं के बराबर वर्चस्व रखने वाली भाजपा के रंगराजन कुमारमंगलम ने १९९८ और १९९९ के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। इस बार का मुकाबला डीएमडीके, कांग्रेस और टीटीवी दिनकरण की पार्टी एएमएमके में हैं।
कांग्रेस पार्टी के तिरुणावकरसु पुदुकोट्टै में अच्छा प्रभुत्व रखते हैं लेकिन तिरुचि के लिए वे बाहरी हैं। मुक्कुलत्तूर मतदाताओं की संख्या का फायदा उनको मिल सकता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद रहते हुए उन्होंने पुदुकोट्टै में अच्छा विकास कार्य कराया था। बहरहाल, तिरुचि की पूर्व मेयर चारुबाला आर. तोंडैमान दिनकरण गुट की पार्टी एएमएमके से निर्दलीय प्रत्याशी हैं। उनका संबंध पूर्व राजघराने से हैं और वे मुक्कुलत्तूर वोट में सेंधमारी करेंगी।
तीसरे प्रमुख प्रत्याशी डीएमडीके से डा. वी. इलंगोवन है जो धर्मपुरी निवासी हैं। २००९ और २०१४ के चुनाव में डीएमडीके को इस सीट पर डेढ़ लाख से अधिक वोट मिले थे। इस बार डीएमडीके को अन्नाद्रमुक और अन्य सहयोगी दलों के वोटों के धु्रवीकरण की उम्मीद है।
प्रमुख समस्याएं
बंद हुए लघु व सूक्ष्म उद्योग
श्रीरंगम में भूमि, पेयजल और सुरंगी नाला
किसानों की समस्या
तिरुचि में एकीकृत बस अड्ड
गांवों को जोडऩे वाली सडक़
गंधर्वकोट्टै में काजू प्रसंस्करण इकाई और सिंचाई नहर योजना
जलस्रोतों की सफाई
पुदुकोट्टै के लोगों की मांग है कि इसे फिर से लोकसभा सीट बनाया जाए
प्रमुख प्रत्याशी और मतदाता
तिरुचि सीट से कुल २४ प्रत्याशी मैदान में हैं।
डा. वी. इलंगोवन डीएमडीके
एस. तिरुणावकरसु कांग्रेस
चारुबाला तोंडैमान एएमएमके
आनंदराजा एमएनएम
कुल प्रत्याशी २४
कुल मतदाता १५०८३२९
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