दरअसल दोनों पार्टियों में शुरुआती खटास का रस अलगिरि और रामसामी ने घोला। दोनों नेताओं की रिपोर्ट में स्थानीय निकाय चुनाव में हुए सीट बंटवारे को लेकर डीएमके पर निशाना साधा गया कि उसने गठबंधन धर्म का निर्वाह नहीं किया। डीएमके नेतृत्व कांग्रेस के इस संयुक्त बयान से खीझ गया। लिहाजा नई दिल्ली में आयोजित कांग्रेस की अगुवाई वाली बैठक का डीएमके ने बहिष्कार किया। साथ ही डीएमके ने कांग्रेस से अपनी नाराजगी भी दर्ज कराई।
नई दिल्ली से लौटे डीएमके संसदीय दल के नेता और पार्टी के वरिष्ठ नेता टी. आर. बालू ने मंगलवार को अध्यक्ष एम. के. स्टालिन से अण्णा अरिवालयम में भेंट की। बालू ने नई दिल्ली में कांग्रेस नेताओं से उनकी भेंट का विवरण दिया।
पत्रकारों ने डीएमके द्वारा कांग्रेस की बैठक का बहिष्कार किए जाने के बारे में पूछा तो वे बोले कि गठबंधन धर्म का उल्लंघन का डीएमके अध्यक्ष एम. के. स्टालिन पर आरोप लगाए जाने की वजह से कांग्रेस द्वारा आयोजित बैठक में हम शामिल नहीं हुए।
बालू ने कहा कि अलगिरि के वक्तव्य से डीएमके कार्यकर्ताओं में निराशा है। उनको वह बयान टाल देना चाहिए था। क्या दोनों पार्टियों के बीच का नाता पहले की तरह हो चुका है के सवाल पर उनकी प्रतिक्रिया थी कि गठबंधन को लेकर वक्त जवाब देगा अभी उसकी क्या जल्दी है? उन्होंने एक बयान जारी किया है और हमने उस पर अपनी असहमति जता दी है। कांग्रेस नेताओं से वार्ता व स्टालिन को यथास्थिति अवगत कराने के बाद टी. आर. बालू की उक्त प्रतिक्रिया को राजनीतिक प्रेक्षक अधरझूल की स्थिति मानते हैं।
सोनिया से मिले अलगिरि
उधर, नई दिल्ली में तमिलनाडु कांगे्रस अध्यक्ष के. एस. अलगिरि ने कहा कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन मजबूत है। अलगिरि ने इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। वार्ता के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा कि डीएमके और कांग्रेस जुड़े हुए हाथ की तरह है। दोनों दलों के बीच का गठबंधन नहीं टूटेगा। यह गठजोड़ मजबूत है। दोनों पार्टियों के बीच पैदा हुए तनाव के बारे में पूछने पर उनका जवाब था कि दोनों के अलग होने का कोई प्रश्न पैदा नहीं होता है। वे और स्टालिन दो जुड़े हुए हाथों की तरह हैं। उनका विचार है कि हमारे बीच कोई मनमुटाव नहीं है। निकाय चुनाव को लेकर उन्होंने कांग्रेस की बात रखी थी।