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अमान्य डिग्री कोर्स चलाने वाले कॉलेज पर यूजीसी करे कार्रवाई

locationचेन्नईPublished: Sep 10, 2018 05:35:11 pm

Submitted by:

Ritesh Ranjan

मद्रास हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन को लगाई लताड़

UGC action on college running invalid degree course

अमान्य डिग्री कोर्स चलाने वाले कॉलेज पर यूजीसी करे कार्रवाई

चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट ने डीम्ड विश्वविद्यालय द्वारा अनियमितता की जांच करने में विफल रहने पर यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन को लताड़ लगाते हुए विनायका मिशन विश्वविद्यालय पर बिना किसी अनिवार्य मान्यता के दूरस्थ शिक्षा द्वारा एमफिल कोर्स चलाने के लिए कार्रवाई करने के निर्देश दिए। विनायका विश्वविद्यालय द्वारा एमफिल के डिग्री धारक एस. शिवन की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश एसएम सुब्रमण्यम ने यह आदेश दिया। एस शिवन की एमफिल डिग्री को यूजीसी ने अमान्य करार दे दिया था।
शिवन राज्य के स्कूली शिक्षा विभाग में बतौर बीटी असिस्टेंट काम करता है। जॉब में रहते हुए वर्ष २००९ में उसने विनायका मिशन विवि से एमफिल की डिग्री प्राप्त की। इसके लिए उसे यूजीसी से इन्क्रिमेंट मिलता था। बाद में ३ अक्टूबर २०१२ को स्कूली शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी कर कहा कि उन लोगों को इंसेंटिव इंक्रिमेंट नहीं दिया जाएगा जिनकी डिग्री यूजीसी के दिशानिर्देश के अनुसार वैध नहीं है। उसके बाद शिवन ने कोर्ट में याचिका दायर की जिस पर सरकार ने कहा कि उसके पास जो डिग्री है वह वैध नहीं है इसलिए वह इन्क्रिमेंट का हकदार नहीं है। यूजीसी के अनुसार डिस्टेंस से प्राप्त एम.फिल की डिग्री वैध नहीं है। सारी दलील सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि यूजीसी द्वारा जब ऐसे दिशा निर्देश जारी किए गए हैं तो ऐसे कोर्स को शुरू कैसे किया गया और अभी भी जारी क्यों है? यूजीसी ने क्यों ऐसी अनियमितता पर कोई कार्रवाई नहीं की?

दुग्ध उत्पादों में मिलावट करने पर भुगतने होंगे गम्भीर परिणाम

चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और निजी डेयरी उत्पादकों को चेतावनी दी है कि या तो वे लोगों को मिलावट रहित दूध और डेयरी उत्पाद मुहैया कराएं या फिर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। इस मामले में किसी भी सरकारी व निजी दुग्ध उत्पादक को बक्शा नहीं जाएगा। हैट्सन एग्रो प्रोडक्ट लिमिटेड और विजय डेयरी एंड फार्म प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश एसएम सुब्रमण्यम ने यह फैसला सुनाया। इन दोनों कंपनियों ने अपनी याचिका में गुहार लगाई थी कि राज्य प्राधिकरण को उनके द्वारा विकसित दुग्ध व दुग्ध उत्पादों का सैंपल लेने और उनकी जांच करने से रोका जाए। उनका कहना था कि राज्य के डेयरी मंत्री केटी राजेंद्र बालाजी द्वारा लगाए गए आरोपों ने उनको यह याचिका दायर करने पर विवश किया है। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता विजय नारायण ने कहा याचिका ही गलत है क्योंकि राज्य प्राधिकरण कानून के तहत ही खाद्य व दुग्ध उत्पादों की जांच करता है।
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