मुख्यमंत्री एडपाड़ी के. पलनीस्वामी ने शनिवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशांकÓ को इस सिलसिले में पत्र लिखकर तमिलनाडु की स्थिति से अवगत कराया। पलनीस्वामी ने राज्य में कोरोना से बचाव के किए जा रहे उपायों की संक्षेप में जानकारी देते हुए कहा कि तमिलनाडु में उच्च शिक्षा विस्तार की नीतियों की वजह से राज्य में सकल नामांकन अनुपात ४९ प्रतिशत है जो देश के अन्य राज्यों से सर्वाधिक है। अकादमिक सत्र के तहत अप्रेल २०२० में सभी कॉलेजों में सेमेस्टर परीक्षाएं होनी थी लेकिन कोरोना महामारी की वजह से नहीं हो सकी।
उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के छह जुलाई को जारी परिपत्र की ओर केंद्रीय मंत्री का ध्यान आकर्षित किया कि देश के सभी शिक्षण संस्थानों को सितम्बर २०२० तक फाइनल ईयर के विद्यार्थियों की सेमेस्टर परीक्षा आयोजित कराने के निर्देश हुए है।
सीएम ने परीक्षा आयोजित कराने में असमर्थता जताते हुए कहा कि इससे विद्यार्थियों को परीक्षा केंद्र पहुंचने में ही दिक्कतें पेश आएंगी। तमिलनाडु में स्थानीय विद्यार्थियों के अलावा देश के अन्य हिस्सों व विदेशों से भी विद्यार्थी आकर पढ़ाई कर रहे हैं। ऑनलाइन परीक्षाओं का आयोजन करना भी मुश्किल है क्योंकि हर विद्यार्थी के पास डिजिटल सुविधाएं नहीं है।
पलनीस्वामी ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि तमिलनाडु के अधिकांश बड़े इंजीनियरिंग हो अथवा कला-विज्ञान महाविद्यालय कोविड-१९ आइसोलेशन केंद्र का रूप ले चुके हैं। इन केंद्रों में उन पॉजिटिव मरीजों को रखा गया है जिनमें रोग के लक्षण नहीं है। ये सेंटर अभी आगे भी काम आएंगे।
उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि उक्त कारणों की वजह से तमिलनाडु इस स्थिति में नहीं है कि सितम्बर तक सेमेस्टर परीक्षा आयोजित करा सके। इसका असर उन विद्यार्थियों पर भी पड़ सकता है जो कैम्सर भर्ती के जरिए नौकरी पा चुके हैं अथवा आगे की पढ़ाई के लिए विदेशों में आवेदन कर चुके हैं। सीएम ने रमेश पोखरियाल से आग्रह किया कि वे यूजीसी, एआइसीटीइ, सीओए, पीसीआइ, एनसीटीइ व एनसीएचएमसीटी को निर्दिष्ट करे कि वे राज्य सरकारों द्वारा सेमेस्टर आयोजित नहीं करने संबंधी किए गए निर्णय का आदर करें। यह विद्यार्थियों व अभिभावकों के लिए निराशाजनक समय है और हमें उनका सहयोग करना चाहिए।