मौजूदा समय में जो निजी संस्थान डिम्ड विश्वविद्यालय की श्रेणी में आ रहे हैं उन पर शुल्क की निगरानी के लिए कोई तंत्र नहीं है। अब यूजीसी ने नियमों को कड़ा करने के लिए कहा है। इसके बाद कोई भी संस्थान कमेटी की ओर से तय किए गए शुल्क के अलावा कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं वसूल सकेंगे। प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से वे अन्य किसी तरह के शुल्क की मांग भी नहीं कर सकेंगे। किसी तरह का उल्लंघन होने पर दस लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है। साथ ही अतिरिक्त शुल्क वापस करने के अलावा अन्य कार्रवाई भी की जा सकेगी।
कमेटी का चेयरमैन कोई पूर्व कुलपति या राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण का अध्यक्ष होगा। सदस्य के रूप में वित्तीय एक्सपर्ट, प्रसिद्ध शिक्षाविद एवं नियामक प्राधिकरण का नामित सदस्य शामिल होगा।
एक संस्थान के कुलपति का कहना था कि डिम्ड विश्वविद्यालय एक स्वायतशासी संस्थान है। ये अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देते हैं। इन्हें किसी नियमों के तहत बांधकर नहीं रख सकते।