उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने यूजीसी की जगह भारतीय उच्च शिक्षा आयोग का प्रस्ताव रखा है। एचआरडी की वेबसाइट पर उच्च आयोग का मसौदा चस्पा कर शिक्षाविदों व आमजन से विचार मांगे गए। विचार व्यक्त करने की तारीख जो पहले ७ जुलाई थी को २० जुलाई तक बढ़ा दिया गया। कई शिक्षाविदों व विशेषज्ञों ने अपने विचार और सुझाव साझा किए हैं और कर रहे हैं।
शिक्षाविदों का आरोप है कि इस प्रस्तावित आयोग के माध्यम से देशभर के कला व विज्ञान महाविद्यालयों को भी केंद्र सरकार अपने कब्जे में लेना चाहती है इसी वजह से बिल का विरोध भी हो रहा है। इस बिल पर तमिलनाडु का मत स्पष्ट करने के लिए सचिवालय परिसर में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक हुई। बैठक में उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम, मछली पालन मंत्री डी. जयकुमार, वन मंत्री दिण्डीगुल श्रीनिवासन, उच्च शिक्षा मंत्री केपी अन्बझगन, मुख्य सचिव गिरिजा वैद्यनाथन, वित्त सचिव के. षणमुगम व उच्च शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव सुनील पालीवाल शामिल हुए।
सूत्रों के अनुसार बैठक में केंद्र सरकार के प्रस्तावित बिल का कड़ा विरोध किया गया।
सूत्रों के अनुसार बैठक में केंद्र सरकार के प्रस्तावित बिल का कड़ा विरोध किया गया।
बैठक के बाद उच्च शिक्षा मंत्री ने मीडिया को बताया कि १९५६ में यूजीसी को लेकर संसद में बिल पारित किया गया था। स्थापना के दिन से आज तक यूजीसी का कार्य श्रेष्ठ रहा है। ऐसे में एचईसीआई की कोई आवश्यकता नहीं है। प्रस्तावित बिल के तहत अकादमिक कार्य ही आयोग को दिए गए हैं और वित्त आवंटन का कार्य केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सुपुर्द किया गया है जो अस्वीकार्य है। इसलिए बैठक में तमिलनाडु सरकार ने निर्णय किया है कि पूर्व की यूजीसी व्यवस्था को ही कायम रखा जाए।