–बैंकों द्वारा उनके ऋणों के लिए समायोजित नहीं किए जाने का आग्रह
इसी बीच बैंक से लोन लेने वाले किसानों ने सरकार से फसल नुकसान के लिए एकाउंट में आने वाले सहायता राशि को बैंकों द्वारा उनके ऋणों के लिए समायोजित नहीं किए जाने का आग्रह किया। कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि वर्ष २०१६ में पीएमएफवाई शुरू होने के बाद तमिलनाडु के डेल्टा जिलों के किसानों ने इसमें पंजीकृत कराने को लेकर ज्यादा रूचि नहीं दिखाई थी, लेकिन गजा चक्रवात के बाद २४.०४ लाख किसान और ३५.३७ लाख एकड़ भूमि को २०१८-१९ के लिए इस योजना के तहत बीमाकृत किया गया था। इसके अलवा वित्तीय वर्ष २०१९-२० के लिए इस योजना में १३ लाख एकड़ भूमि को शामिल किया गया है।
तमिलनाडु विवासायगल संगम के जिला सचिव पी.एस. मसिलामणी ने कहा कि जागरूकता अभियान की वजह से इस योजना के बारे में तंजावुर के किसानों को अच्छे से पता था। टीएससी किसान विंग के पुलियूर ए. नागराजन ने जिला कलक्टर से सहकारी बैंक के अधिकारियों को किसानों के एकाउंट में आने वाले फसल बीमा राशि को लोन राशि के रूप में नहीं काटने का निर्देश देना का आग्रह किया।