दु.:खों का कारण मानव की स्वयं की सोच है। जो मिला है उसी में प्रसन्न रहना सीखें व उसका सदुपयोग करें। आर्त और रौद्र ध्यान छूटेगा तो ही धर्मध्यान शुरू होगा और मंजिल प्राप्त होगी।
चेन्नई•Aug 03, 2018 / 01:31 pm•
PURUSHOTTAM REDDY
जो मिला है उसका सदुपयोग करें