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लॉकडाउन के बाद भभूति के कारोबार में तेजी के आसार, पिछले तीन-चार साल से बिक रही टनों में

locationचेन्नईPublished: Aug 27, 2020 10:16:19 pm

मंदिरों में खूूब हो रही आपूर्ति अब शादी-ब्याह, धार्मिक आयोजन व अन्य अवसरों पर भी बढ़ी मांग

Vibhuti

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चेन्नई. पिछले कुछ वर्षों से देश में भभूति का बाजार चमक रहा है। हालांकि लॉकडाउन के चलते मंदिरों के बन्द होने से इसके कारोबार पर असर पड़ा लेकिन अब मंदिरों के खुलते ही बाजार में फिर से इसकी मांग बढ़ गई है।
पिछले कुछ वर्षों से गाय के गोबर से निर्मित भभूति के खरीदार बढ़े हैं। देशी गाय के गोबर से बनी भभूति अधिक पवित्र मानी जाती है। लॉकडाउन से पहले कई बड़े मंदिरों में हर महीने टनों में भभूति खरीदी जाती थी। ऐसे में गौशालाएं भी भभूति बेचकर आत्मनिर्भर बन रही है। अब भभूति की मांग एवं बाजार को देखते हुए कई नए लोग इस रोजगार में आने लगे हैं।
खूब मान्यता है हिंदू धर्म में
हिन्दू धर्म में भभूति का खूब प्रचलन है, यह गुरु गोरखनाथ के समय में बढ़ा। नागा साधु भी भभूति का तिलक लगाते हैं। भभूति से बना तिलक अधिकतर दक्षिण भारत में देखने को मिलता है। वैसे कहीं-कहीं चावल की भूसी से भी भभूति तैयार की जाती है। इसके अलावा बिल्व, पीपल, पलाश, बरगद, बेरी की लकड़ी से भी भभूति बनती है।
विवेक की जागृति
हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि ललाट पर भभूति लगाने से विवेक जाग्रत होता है एवं नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है व मानसिक शांति मिलती है और विचार शुद्ध होते हैं। भभूति स्वास्थ्य कारणों से भी काफी शुद्ध मानी जाती है। इसे लगाने से मौसम का विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता। त्वचा संबंधी रोग में भी भभूति काफी लाभदायक मानी जाती है। शरीर के विभिन्न हिस्सों में भभूति लगाने से विभिन्न तरह के चर्म रोग ठीक होने का दावा किया जाता है। इसके प्रयोग से शरीर के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
इस तरह लगाएं भभूति
परंपरानुसार भस्म को अंगूठे और अनामिका के बीच लेकर लगानी चाहिए। भौंहों के बीच जिसे आज्ञा चक्र कहा जाता है, गले के गड्ढे में जिसे विशुद्धि चक्र कहा जाता है और छाती के मध्य जिसे अनाहत चक्र के नाम से जाना जाता है, में भभूति लगानी चाहिए। हिंदू धर्म में आमतौर पर इन बिंदुओं पर भभूति लगाने से इंसान बुद्धिमान बनता है।
भभूति की मांग में तेजी
आजकल कई जगह नमक के नीचे के पाउडर की बनी भभूति मिल रही है। उसमें केमिकल मिला दिए जाते हैं। गाय के गोबर की भभूति ही शरीर के लिए फायदेमन्द रहती है। इससे पेट की कई बीमारियां दूर हो जाती है। भभूति अभी प्रति किलोग्राम एक सौ रुपए से लेकर चार सौ रुपए तक मिल रही है। घर व मंदिर में विभिन्न आयोजनों, शादी-विवाह में भी भभूति काम में ली जाती है। पिछले तीन-चार साल से भभूति का मार्केट लगातार बढ़ रहा है। अब भभूति का बाजार और चमकेगा।
प्रदीप बिनानी, भभूति उत्पादक, कोविलपट्टी
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