इस झील की लंबाई करीब १,५०० और चौड़ाई ९०० फीट है। २५ एकड़ में फैली यह झील २४ फीट गहरी है। इसकी क्षमता ८.५ लाख क्यूबिक मीटर है। इस झील के पानी को १९५० के दशक में आस-पास के इलाकों में स्पलाई किया जाता था। इसके प्रदूषित होने के बाद जलापूर्ति बंद कर दी गई। हालांकि इस पानी का इस्तेमाल आग बुझाने, बागवानी व अन्य कामों में किया जाता है।
आईसीएफ के पूर्व महाप्रबंधक एस. मणि ने इस झील के पुनर्रुद्धार में काफी रुचि दिखाई थी। अनाधिकृत नाले के पानी को इसमें गिरने से रोका गया और पास के रिहायसी इलाकों से आने वाले पानी को भी अन्य दिशा में मोड़ दिया गया। यह प्रयास काफी शोध के बाद किया गया जो एस मणि के कार्यकाल में हुआ। जिन जगहों पर पानी मिलता है वहां फिल्टर व बैरियर लगाए गए हैं।
झील के पानी से गंदगी साफ कर उसके किनारों को भी साफ किया गया। इस परियोजना की लागत ५२ लाख रुपए बाई और सितम्बर २०१७ में इस काम की शुरुआत हुई। झील की दक्षिण ओर वाकर्स पार्क बनाया गया। पूर्व में बोट जेट्टी, हर्बल गार्डन आईसीएफ ट्रेनिंग सेंटर के कर्मचारियों द्वारा लगाया गया।