चेन्नई

विल्लुपुरम कोर्ट ने पीएमके प्रमुख रामदास, जीके मणि समेत ३६१ को किया बरी

Unlawful assembly case विल्लुपुरम जिला और सत्र न्यायालय ने सोमवार को पीएमके संस्थापक एस. रामदास और पार्टी अध्यक्ष जी.के. मणि समेत 361 कार्यकर्ताओं को गत 2013 में गैन कानूनी तरीके से प्रदर्शन करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान बरी कर दिया।

चेन्नईMar 16, 2020 / 07:11 pm

Vishal Kesharwani


विल्लुपुरम. विल्लुपुरम जिला और सत्र न्यायालय ने सोमवार को पीएमके संस्थापक एस. रामदास और पार्टी अध्यक्ष जी.के. मणि समेत 361 कार्यकर्ताओं को गत 2013 में गैन कानूनी तरीके से प्रदर्शन करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान बरी कर दिया। अदालत ने पीएमके द्वारा विल्लुपुरम के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में दायर चार्जशीट में देरी के खिलाफ दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के दौरान पीएमके नेताओं को बरी किया है। सार्वजनिक अभियोक्ता पी. श्रीनिवासन ने बताया कि २५ अप्रेल २०१३ को मामल्लापुरम के माराक्कनम में वेन्नियार और दलित समुदाय के बीच विवाद हुआ था। जिसमें कई व्यक्ति घायल हो गए थे और घरों, दुकानों व टीएनएसटीसी की बसों को जला दिया गया था। इसके अलावा वेन्नियार समुह के सेल्वराज और विवेक नामक दो व्यक्तिओं की हत्या कर दी गई थी। लेकिन पुलिस ने सड़क हादसा दिखाते हुए दोनों की मौत का मामला दर्ज किया था। वर्ष २०१६ में दोनों की हत्या के आरोप में छह व्यक्तिओं को सजा हुई।

 

सेल्वराज और विवेक की हत्या का दावा करते हुए पीएमके ने मामले में सीबी सीआईडी जांच की मांग की थी। जांच की मांग करते हुए पीएमके ने विल्लुपुरम जंक्शन में प्रदर्शन करने की भी चेतावनी दी थी। प्रदर्शन के लिए पार्टी पदाधिकारी ने विल्लुपुरम डीएसपी कार्यालय से अनुमति भी ली थी, लेकिन अंंत समय में अनुमति को रद्द कर दिया गया था। हालांकि पीएमके सदस्य निर्धारित योजना के मुताबिक जंक्शन पर इकठ्ठा हो गए। जिसके बाद विल्लुपुरम टाउन पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत ३६३ पीएमके सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। पीएमके वकील मनूर ए. राजारमण ने कहा कि एक साल के अंदर चार्जशीट तैयार करने के बजाय पुलिस ने १२८७ दिनों की देरी के बाद चार्जशीट को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में दायर किया। जिसके बाद से मामला मजिस्ट्रेट अदालत में लंबित था। इसी बीच चार्जशीट दायर करने में देरी करने और पीएमके सदस्यों को गलत तरीके से फंसाने का हवाला देते हुए २ दिसंबर २०१९ को विल्लुपुरम जिला कोर्ट में आपराधिक संशोधन याचिका दायर की गई। जिस पर सुनवाई के दौरान जिला कोर्ट के न्यायाधीश एस. आनंदी ने सभी सदस्यों को बरी कर दिया।

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