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महापुरुषों के स्मरण से बढ़ती है गुण सम्पदा

locationचेन्नईPublished: Sep 24, 2018 11:36:37 am

Submitted by:

Ritesh Ranjan

– कपिल मुनि ने दिया उद्बोधन- मनाई तीन आचार्यों की जन्म जयन्ती

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महापुरुषों के स्मरण से बढ़ती है गुण सम्पदा

चेन्नई. गोपालपुरम स्थित छाजेड़ भवन में विराजित कपिल मुनि के सानिध्य व श्री जैन संघ के तत्वावधान में रविवार को आचार्य जयमल का 311वां, आचार्य आत्माराम का 136वां एवं आचार्य डॉ. शिवमुनि का 77वां जन्म दिवस जप तप की आराधना व सामूहिक सामायिक साधना के साथ मनाया गया। रविवार को छाजे? भवन में आयोजित एक साथ इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुगओं ने तीन-तीन सामायिक साधना व एकासन की आराधना की। धर्मसभा को संबोधित करते हुए कपिल मुनि ने तीनों आचार्यों का गुण उत्कीर्तन करते हुए कहा महापुरुषों का जीवन चरित्र हमारे जीवन निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। उनके स्मरण से जीवन में गुण सम्पदा का विस्तार होता है । आचार्य जयमल 18वीं सदी में जैन धर्म के महाप्रभावी आचार्य थे। उनकी प्रेरणा से तत्कालीन अनेक राजा महाराजाओं ने मांसाहार का त्याग कर अहिंसा व्रत अपनाया उन्होंने सोलह वर्ष तक एकान्तर तप की आराधना की और करीब 50 साल तक लेटकर नींद नहीं ली। वे प्रत्येक क्षण का प्रयोग ध्यान और स्वाध्याय में करते रहे। इसी प्रकार आचार्य आत्माराम का व्यक्तित्व अनेक विशेषताएं लिए हुए था। वे जैनागम के विशेष ज्ञाता और प्रखर व्याख्याता थे। उनकी वाणी में एक ऐसा जादू था जो किसी भी पथ भ्रष्ट को सन्मार्ग पर लगा देता। सादडी सम्मलेन में जिनशासन के श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमण का उन्हें प्रथम आचार्य बनाया गया। वे संयम साधना में सजग बनकर ज्ञान, दर्शन और चारित्र में पुरुषार्थ करके आखिरी सांस तक वीर शासन की जाहोजलाली करते रहे। मुनि ने कहा श्रमण संघ के वर्तमान आचार्य डॉ. शिवमुनि का जीवन एक खुली किताब की भाँति है। वे सरलता और सादगी के पर्याय हैं उनका हृदय कपटरूपी विष से मुक्त है। उनकी कथनी और करनी में एकरूपता है। वे भारतवर्ष में ध्यान साधना का प्रयोग करवाकर युवाओं को स्वस्थ और सुन्दर जीवन जीने की कला सिखाने में सिद्धहस्त हैं । एक विशाल संघ के आचार्य और घोर तपस्वी होने के बावजूद उनमें लेशमात्र भी अहम नहीं दिखाई देता। मुनि ने शिवाचार्य जी के स्वस्थ और दीर्घ जीवन की मंगल भावना प्रेषित की। धर्मसभा में जैन कॉन्फ्रेंस नई दिल्ली के पूर्व महामंत्री विमलचंद धारीवाल, अमरचंद छाजेड़, हुक्मीचंद कोठारी, पदमचंद बैद, इंदरचंद कांकलिया, शांतिलाल संकलेचा, विजयराज कोठारी, प्रकाशचंद खारीवाल, भंवरलाल चोपड़ा, सोहनलाल भंसाली, मांगीलाल-सूरज कुमार छाजेड़, रिखबचंद-दिनेश सिंघवी, किशोर खारीवाल समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। संचालन संघमंत्री राजकुमार कोठारी ने किया।
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